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मनुष्य जिस राशि में जन्म लेता है, उस कुंडली के ग्रह दशाओं और नक्षत्रों का व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मनुष्य जिस राशि में जन्म लेता है, उस कुंडली के ग्रह दशाओं और नक्षत्रों का व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और घटनाओं के अनुसार रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. रत्न सभी को पसंद होते हैं, लेकिन किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिष की सलाह लेना बहुत आवश्यक होता है. रत्न शास्त्र में दो ऐसे रत्नों (Gemstones) का वर्णन है, जिन्हें धारण करने से व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा असर होता है. ये रत्न जितने शक्तिशाली हैं, उतने ही खतरनाक भी होते हैं. उन दोनों रत्नों के बारे में बता रहे हैं भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
हीरा रत्न
-नवरत्नों में हीरा सबसे ज्यादा बहुमूल्य, कठोर और चमकदार रत्न होता है. इसी कारण हीरे की चमक हर किसी व्यक्ति को आकर्षित करती है. ज्योतिष शास्त्र में ऐसा बताया गया है कि हीरा धारण करने से व्यक्ति को सुख, शांति, साधन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही हीरे का प्रभाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर भी पड़ता है.
हीरा धारण करने के नियम
-ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि यदि हीरा किसी व्यक्ति को फलता है तो यह उस व्यक्ति की किस्मत चमका सकता है, लेकिन हीरा धारण करने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है क्योंकि बिना सोचे-समझे हीरा धारण करने से व्यक्ति को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
ऐसे लोग जो डायबिटीज, खून से संबंधित बीमारियों से ग्रसित हैं, उन्हें हीरा बिल्कुल नहीं पहनना चाहिए, यदि किसी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में परेशानियां चल रही हैं तो ऐसे व्यक्ति भी हीरा धारण ना करें. ज्योतिष शास्त्र में ऐसा बताया गया है कि 21 से 50 साल की आयु वाले व्यक्ति हीरा धारण कर सकते हैं.
नीलम रत्न
-ज्योतिष शास्त्र और रत्न शास्त्र में नीलम को दूसरा सबसे शक्तिशाली रत्न माना जाता है. इसके साथ ही यह रत्न उतना ही ज्यादा खतरनाक भी है. नीलम को शनि देव का रत्न माना गया है. शनि देव के उग्र स्वभाव के कारण नीलम रत्न को किसी अन्य व्यक्ति के साथ धारण नहीं करना चाहिए. गलत तरीके से नीलम धारण करना दुर्भाग्य का कारण बन सकता है.
-नीलम रत्न धारण करने के नियम
अक्सर लोग अनजाने में नीलम रत्न को सोने या किसी मिश्रित धातु में जड़वा कर पहनते हैं, लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं है. यदि किसी व्यक्ति को नीलम रत्न धारण करना है तो उसे लोहे या चांदी की अंगूठी में जड़वा कर ही धारण करना चाहिए. इसके अलावा सदैव चौकोर आकार वाला नीलम ही धारण करना चाहिए. नीलम को शनि देव का रत्न माना गया है, इसीलिए इसे शनिवार के दिन पूजा पाठ करने के बाद मध्य रात्रि में धारण करना चाहिए.
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