- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- आचार्य चाणक्य के...
x
आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में पानी पीने के नियम पर भी बात की है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में पानी पीने के नियम पर भी बात की है. आचार्य ने बताया है कि अगर पानी को गलत समय पर पीया जाए तो वो शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है. यहां जानिए इसके बारे में.
अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे तद् बलप्रदम्भो, भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्. इस श्लोक के जरिए आचार्य कहते हैं कि भोजन न पचने की स्थिति में पानी औषधि के समान है.भोजन करते समय जल अमृत है और भोजन के बाद विष का काम करता है.
इस श्लोक का अर्थ विस्तार से समझिए. आचार्य का मानना था कि पानी शरीर के लिए बेहद गुणकारी है. ये आपके पाचन तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने के लिए प्रेरित करता है और शरीर के विषैले तत्वों को निकाल देता है. अगर आप अपच की स्थिति में पानी पीते हैं, तो ये आपके शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है और पेट की तमाम परेशानियों से निजात दिला देता है.
अगर आप खाने के बीच में घूंट भर पानी पीते हैं, तो ये आपके शरीर के लिए अमृत का काम करता है. ऐसे में ये बड़ी आंत में दबाव भी नहीं पड़ने देता. इससे आप ओवर ईटिंग से भी बचते हैं और आपका खाना आसानी से पच जाता है. ये आपके पेट को एकदम दुरुस्त रखता है.
लेकिन अगर आप खाना खाते समय खूब सारा पानी पीते हैं या खाना खाने के तुरंत बाद खूब सारा पानी पी लेते हैं, तो यही पानी आपके शरीर में विष की तरह काम करता है. इससे आपका पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है. आपको पेट से संबन्धित तमाम परेशानियां होने लगती हैं और पेट बाहर निकलने लगता है. पेट का खराब रहना आपके शरीर की आधी बीमारियों की जड़ माना जाता है. इसलिए हमेशा खाना खाने के आधे या एक घंटे के बाद पानी पीना चाहिए.
Kajal Dubey
Next Story