धर्म-अध्यात्म

पूजा करने की सही विधि जाने

Apurva Srivastav
9 March 2023 5:43 PM GMT
पूजा करने की सही विधि जाने
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जिन लोगों को संस्कृत नहीं आती, उनकी आसानी के लिए हम इसको अंग्रेजी के फोनेटिक्स में भी लिख रहे हैं
पूजा की सही विधि क्या है?
आप हमेशा ज्ञानी ऋषि-मुनियों द्वारा रचित प्राचीन शास्त्रों में बताई गयी पूजा-पाठ की विधि का पालन करें या दुविधा होने पर किसी ज्ञानी पंडित से पूछ लें। आप अपने विवेक के आधार पर भी तय कर सकते हैं कि भक्ति ज्ञान के किस स्रोत से आपको सही जानकारी मिल रही है, जैसे आप देख सकते हैं कि हमने ये आर्टिकल भक्तों के हित के लिए पब्लिश किया है क्योंकि हमारा मानना है कि श्रद्धालु भक्तों को पूजा विधि की बिल्कुल सही जानकारी मिलनी ही चाहिए।
पूजा शुरू करने से पहले शुद्धिकरण करने के लिए आप तांबे के एक छोटे से पात्र में साफ़ जल भर लें और यदि आपके घर में गंगाजल हो तो एक साफ बर्तन मे एक चम्मच गंगाजल डालकर उसमे अपने घर के साफ पानी को मिल लें। आसन पर बैठने के बाद पूजा शुरू करने के लिए आप एक चम्मच जल (आचमनी) अपनी हथेली पर लें और दूसरे हाँथ से उसको ढक कर रखें।
अब आप कमल के समान मनोहारी छवि वाले भगवान विष्णु का ध्यान कर के गरुण पुराण में लिखित यह शुद्धिकरण मन्त्र पढ़ें –
ॐ अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोSपिवा। यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं सः वाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
जिन लोगों को संस्कृत नहीं आती, उनकी आसानी के लिए हम इसको अंग्रेजी के फोनेटिक्स में भी लिख रहे हैं जिससे वे लोग भी इस मन्त्र का उच्चारण सही तरीके से कर पायें। मन्त्र का अर्थ भी नीचे दिया गया है क्योंकि जब आप इसका अर्थ समझ कर करेंगे तो आपका इससे भावनात्मक जुड़ाव होगा जो कि पूजा के लिए बहुत आवश्यक है।
Om apvitrah pavitrova sarva-vastham gatopiva.
Yah smaret pundrikaksham sah vaahya-abhyantarah shuchih.
अर्थात:- चाहे कोई भी शुद्ध या अशुद्ध हो, जब कोई व्यक्ति कमल के सामान आँखों वाले भगवान विष्णु को याद करता है, तो वह व्यक्ति पूर्ण आंतरिक और बाहरी पवित्रता प्राप्त करता है।
तन से और मन से शुद्ध होने के बाद आप सबसे पहले गणेश भगवान का ध्यान करके उनको नमन करें। उसके बाद आप अपने इष्ट देवता का ध्यान करें और उनको धन्यवाद करें। जिन देवता के प्रति आपका विशेष लगाव हो, उनका आप ध्यान, उनके मन्त्र या नाम की एक माला (यानी 108 बार क्योंकि एक माला में 108 गुरियाँ होती हैं, मन्त्र पढ़ें तो अधिक बेहतर होगा) और उन देवता की चालीसा का पाठ करें।
उसके बाद आरती करके भगवान को यानी सभी देवी-देवताओं को एक ही छोटी प्लेट या कटोरी में किसी ताजे मीठे खाद्य पदार्थ का भोग लगा कर रखें और पूरी श्रद्धा भावना से महसूस करें कि भगवान आपकी प्लेट से आपके हाँथ से खाने के लिए आ गए हैं। इसके बाद अपने इष्ट देवता की आरती कर के प्रसाद को अपने परिवार में एवं अधिक से अधिक लोगों में बाँट दें।
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