धर्म-अध्यात्म

जानिए गुड़ी पड़वा का धार्मिक महत्व

Ritisha Jaiswal
31 March 2022 4:57 PM GMT
जानिए गुड़ी पड़वा का धार्मिक महत्व
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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के साथ नए हिंदू वर्ष की शुरुआत होती है। इसके साथ ही इस दिन चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के साथ नए हिंदू वर्ष की शुरुआत होती है। इसके साथ ही इस दिन चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा को पच्चड़ी, उगादी और संवत्सर पड़वो के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। जानिए गुड़ी पड़वा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त
तिथि- 2 अप्रैल 2022, शनिवार
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 1 अप्रैल, शुक्रवार सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 2 अप्रैल, शनिवार को रात 11 बजकर 58 मिनट तक
गुड़ी पड़वा को बन रहा खास संयोग
गुड़ी पड़वा के दिन खास संयोग बन रहा है। इस दिन इंद्र योग, अमृत सिद्धि योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जहां इंद्र योग सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक है। इसके बाद अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग 01 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 40 मिनट से 02 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 10 मिनट तक हैं।
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गुड़ी पड़वा का धार्मिक महत्व
गुड़ी पड़वा बहुत ही शुभ पर्व माना जाता है। इस पर्व को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इस दिन से ही सतयुग का भी आरंभ हुआ था। इस दिन घर के बाहर आम के पत्ता का तोरण और ध्वज लगाना शुभ माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा और भगवान राम की विधि-विधान से पूजा भी की जाती है।
वहीं गुड़ी पड़वा का दिन स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन खास तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन मीठी रोटी पूरन पोली हो। गुड़ी पड़वा के बारे में कहा जाता है कि खाली पेट पूरन पोली का सेवन करने से चर्म रोग की समस्या भी दूर होती है।
गुड़ी पड़वा का पर्व वास्तु के मुताबिक भी अच्छा माना जाता है। इसमें नीम की पत्तियां और मिश्री भी इस्तेमाल की जाती है। नीम का अर्थ है जीवन की कड़वी घटनाएं, मिश्री का अर्थ है आनंदमय घटनाएं यानी यह जीवन की वास्तविक घटनाओं को दर्शाता है।


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