धर्म-अध्यात्म

जानें धार्मिक, वैज्ञानिक कारण वट सावित्री पर क्यों की जाती है बरगद वृक्ष की पूजा

Nidhi Markaam
21 May 2022 4:50 AM GMT
जानें धार्मिक, वैज्ञानिक कारण वट सावित्री पर क्यों की जाती है बरगद वृक्ष की पूजा
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इस दिन सावित्री की ‘देवी सावित्री’ के रूप में भी पूजा की जाती है. इस बार वट सावित्री व्रत 30 मई दिन सोमवार को रखा जा रहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नई दिल्ली. वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की भलाई, सुखी वैवाहिक जीवन और पति के लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करती हैं . हिंदू किंवदंतियों के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन, देवी सावित्री ने मृत्यु के देवता भगवान यमराज को अपने पति सत्यवान के जीवन को वापस करने के लिए मजबूर किया था. भगवान यमराज उनकी भक्ति से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उनके मृत पति को वापस दे दिया. तब से, विवाहित महिलाएं 'वट' (बरगद) के पेड़ की पूजा करती हैं और इस दिन सावित्री की 'देवी सावित्री' के रूप में भी पूजा की जाती है. इस बार वट सावित्री व्रत 30 मई दिन सोमवार को रखा जा रहा है.

वट सावित्र व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत की महिमा का उल्लेख कई हिंदू पुराणों जैसे 'भविष्योत्तर पुराण' और 'स्कंद पुराण' में किया गया है. वट सावित्री व्रत पर, भक्त 'वट' या बरगद के पेड़ की पूजा करते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बरगद का पेड़ 'त्रिमूर्ति' अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करता है. पेड़ की जड़ें भगवान ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करती हैं, तना भगवान विष्णु का प्रतीक है और पेड़ का ऊपरी भाग भगवान शिव का प्रतीक है. इसके अलावा वट वृक्ष की लटकती जड़ें 'सावित्री' का प्रतीक है. इस व्रत को रखने वाली महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, अपने अच्छे भाग्य और जीवन में सफलता के लिए प्रार्थना करती हैं.
बरगद वृक्ष को अनश्वर भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि मार्कंडेय ऋषि को भगवान कृष्ण ने बरगद के पत्ते पर ही दर्शन दिया था. बरगद वृक्ष का पर्यावरण संरक्षण में भी बहुत अधिक योगदान है. बरगद का वृक्ष 20 घंटे तक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता रहता है. और कार्बन डाइऑक्साइड को अन्य पेड़ों की तुलना में ज्यादा अवशोषित करके वातावरण को शुद्ध रखने में मदद करता है. इसी वैज्ञानिक महत्त्व के कारण बरगद वृक्ष का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है. इसीलिए वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं बरगद वृक्ष को सींचती हैं, रोली कुमकुम का तिलक लगाकर पूजा करती हैं, बरगद वृक्ष की परिक्रमा करके अपने पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं.


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