धर्म-अध्यात्म

shiv : महादेव पर जल चढ़ाते समय करें पाठ जानिए

Kavita2
23 Jun 2024 11:07 AM GMT
shiv : महादेव  पर जल चढ़ाते समय करें पाठ जानिए
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Shiva : सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव के निमित्त सोमवारी व्रत रखा जाता है। इस व्रत की महिमा का गुणगान शिव पुराण में विस्तार से किया गया है। चिर काल में जगत जननी मां पार्वती Mother Parvati, the mother of the world ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए सोमवारी व्रत किया था। इस व्रत के पुण्य फल से भगवान शिव एवं मां पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। अतः सोमवारी व्रत
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का विशेष महत्व है। इस व्रत को सभी वर्ग के लोग कर सकते हैं। विवाहित स्त्रियां सुख-सौभग्य में वृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए सोमवार के दिन व्रत रखती हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियां शीघ्र विवाह के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। अगर आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से महादेव की पूजा करें। वहीं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस स्तोत्र का पाठ करें।
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय ।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्‌र्यनाशनम् ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ॥
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