धर्म-अध्यात्म

जानिए माता को शराब अर्पित करने की वजह और कहां स्थित है यह अद्भुत देवी मंदिर...

Tara Tandi
28 March 2022 8:03 AM GMT
जानिए माता को शराब अर्पित करने की वजह और कहां स्थित है यह अद्भुत देवी मंदिर...
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जानिए माता को शराब अर्पित करने की वजह और कहां स्थित है यह अद्भुत देवी मंदिर... 

दो अप्रैल से चैत्र नवरात्रि 2022 की शुरुआत हो रही है और माता के इन पावन दिनों का समापन 11 अप्रैल को होगा। इस दौरान देश भर के देवी मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा लगेगा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दो अप्रैल से चैत्र नवरात्रि 2022 की शुरुआत हो रही है और माता के इन पावन दिनों का समापन 11 अप्रैल को होगा। इस दौरान देश भर के देवी मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा लगेगा। हर साल नवरात्रि के मौके पर माता के दर्शन के लिए दूर दराज से लोग प्रसिद्ध देवी मंदिर में पहुंचते हैं। कई मंदिर अपनी पावन कथाओं के लिए प्रसिद्ध है तो कई मंदिरों को लेकर मान्यता है कि यहां वास्तव में माता का वास है। कुछ मंदिरों में देवी के दर्शन कर मन्नत मांगने से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है। कई देवी मंदिरों में माता की पूजा अर्चना के अलग अलग तरीके हैं। वहीं माता सती के अवशेषों के धरती पर गिरने के बाद देश- विदेश में मां के 52 शक्तिपीठ भी हैं। नवरात्रि के मौके पर आपको माता के ऐसे मंदिर के बारे में बताया जा रहा है, जहां मां को शराब का भोग लगाया जाता है। इस मंदिर में माता को शराब अर्पित कर भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। जानिए माता को शराब अर्पित करने की वजह और कहां स्थित है यह अद्भुत देवी मंदिर।

राजस्थान में माता का मंदिर
राजस्थान के नागौर जिले में प्रसिद्ध भुवाल काली माता मंदिर है। दूसरे देवी मंदिरों में माता को भोग में लड्डू, पेड़े, हलवा चना और नारियल आदि का भोग लगता है लेकिन भुवाल काली माता मंदिर में भक्त देवी को शराब को भोग लगाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस मंदिर में मां केवल ढाई प्याला शराब ही ग्रहण करती हैं।
हर भक्त नहीं चढ़ा सकता प्रसाद
माता के दर्शन के लिए हजारो भक्त पहुंचते हैं लेकिन सभी को भोग लगाने की अनुमति नहीं होती। इसके लिए भक्तों की आस्था को परखा जाता है। अगर किसी श्रद्धालु को माता को प्रसाद चढ़ाना हो तो पहले उसे बीड़ी, सिगरेट, जर्दा, तंबाकू और चमड़े की बेल्ट व पर्स को मंदिर से बाहर निकाल कर आना होगा। जिन भक्तों के पास यह सामान होता है, उसे मदिरा का भोग लगाने नहीं दिया जाता।
क्यों चढ़ाया जाता है माता को शराब को भोग?
देवी को शराब नशे के तौर पर नहीं, बल्कि प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है। माता भोग में ढाई प्याला शराब ही ग्रहण करती हैं। शराब को चांदी के प्याले में माता को अर्पित किया जाता है, इस दौरान पुजारी अपनी आंखें बंद रखते हैं और माता से शराब ग्रहण करने का आग्रह करते हैं। मान्यता है कि कुछ पलों में ही प्याले से शराब गायब हो जाती है। ऐसा तीन बार किया जाता है और तीसरी बाद आधा प्याला शराब ही बच जाती है, जो प्रसाद के तौर पर भक्त को दी जाती है। देवी के शराब ग्रहण करने को लेकर मान्यता है कि जब भक्त सच्चे मन से माता को शराब को भोग लगाता है तो माता को उनकी मन्नत या मनोकामना पूरी करने के संकेत के तौर पर शराब ग्रहण कर लेती हैं।
डाकुओं ने भुवाल काली माता मंदिर का निर्माण कराया
कहा जाता है कि यह मंदिर तकरीबन 800 साल से ज्यादा पुराना है। मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित हैं कि इस स्थान पर डाकुओं को राजा के सैनिकों ने घेर लिया था। सामने मौत देख डाकुओं को माता की याद आ गई। इस पर उनकी रक्षा के लिए माता ने डाकुओं को भेड़ बकरी के झुंड में बदल दिया। बाद में डाकुओं ने इसी स्थान पर माता के मंदिर का निर्माण कराया। एक कथा यह भी है कि इस स्थान पर डाकुओं का डेरा रहता था। यहां पेड़ के नीचे पृथ्वी से स्वयं माता प्रकट हुई थीं। उसके बाद डाकुओं ने मंदिर का निर्माण कराया था।
भुवाल माता मंदिर में मां के किस रूप की होती है पूजा?
इस मंदिर में माता काली और ब्राह्मणी स्वरूप की पूजा होती है। भक्त मां काली को शराब अर्पित करते हैं, तो वहीं मां ब्राह्मणी को मिठाई का भोग लगाते हैं। यहीं भैरव बाबा का भी मंदिर है, यहां भी भक्त शराब का भोग लगाते हैं।
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