धर्म-अध्यात्म

जानिए संत कबीर दास जी के अनमोल वचन

Tara Tandi
12 Jun 2022 10:52 AM GMT
जानिए संत कबीर दास जी के अनमोल वचन
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हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को संत कबीर दास जी की जयंती मनाई जाती है. इस बार 14 जून को संत कबीर दास जी की जयंती मनाई जाएगी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को संत कबीर दास जी की जयंती मनाई जाती है. इस बार 14 जून को संत कबीर दास जी की जयंती मनाई जाएगी. उनका जन्म काशी में 1398 में हुआ था. वे एक प्रसिद्ध लेखक और कव‍ि थे. उन्होंनेसमाज सुधार पर बहुत जोर द‍िया. संत कबीर दास जी ने अपने दोहों के जरिए जीवन जीने की सीख दी है. आइए पढ़ें उनके कुछ ऐसे ही अनमोल दोहे.

"माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे, एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदुंगी तोहे" इसका मतलब है कि कुमार जो बर्तन बनाता है तब मिट्टी को रोद करता है. उस समय मिट्टी कुमार से बोलती है कि अभी आप मुझे रोद रहे हैं, एक दिन ऐसा आएगा जब आप इसी मिट्टी में विलीन हो जाओगे और मैं आपको रो दूंगी.
"काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब" इसका मतलब है कि हम सब के पास समय बहुत ही कम है. इसलिए जो काम हम कल करने वाले थे उसे आज करो और जो काम आज करने वाले हैं उसे अभी करो क्योंकि पल भर में प्रलय आ जाएगा तो आप अपना काम कब करोगे. इस दोहे के जरिए हमें समय के महत्व के बारे में बताया गया है.
"ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए" इस दोहे से कबीर दास जी हमें ये समझाते हैं कि हमेशा ऐसी भाषा बोलने चाहिए जो सामने वाले को सुनने से अच्छा लगे और उन्हें सुख की अनुभूति हो और साथ ही खुद को भी आनंद का अनुभव हो.
"बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो मन देखा अपना, मुझ से बुरा न कोय" कबीर दास जी कहते हैं कि वे सारा जीवन दूसरों की बुराइयां देखने में लगे रहे थे. लेकिन जब उन्होंने खुद को देखा तो उन्हें लगा कि उनसे बुरा इंसान कोई भी नहीं है. वे सबसे स्वार्थी और बुरे हैं. ऐसे ही लोग भी दूसरे के अंदर बुराइयां देखते हैं परंतु खुद के अंदर कभी जाकर नहीं देखते अगर वह खुद के अंदर झांक कर देखे तो उन्हें भी पता चलेगा कि उनसे बुरा इंसान कोई भी नहीं है.


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