धर्म-अध्यात्म

जानिए कोकिला व्रत पूजन विधि और महत्व

Tara Tandi
12 July 2022 12:45 PM GMT
जानिए कोकिला व्रत पूजन विधि और महत्व
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हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह में आने वाली पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह में आने वाली पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस साल गुरु पूर्णिमा कल यानि 13 जुलाई को है. धर्म शास्त्रों में भी आषाढ़ पूर्णिमा (Guru Purnima 2022) का​ विशेष महत्व है क्यों​कि इस दिन गुरु पूर्णिमा के अलावा कोकिला व्रत भी किया जाता है. कोकिला व्रत केवल सुहागिनें ही नहीं, बल्कि कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए करती है. इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं.

कोकिला व्रत 2022
कोकिला व्रत आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन ही रखा जाता है और इस साल यह पूर्णिमा 13 जुलाई है. यानि जो जातक इस व्रत को करना चाहते हैं वह 13 जुलाई को व्रत कर सकते हैं.
कोकिला व्रत का महत्व
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक इस व्रत करने से दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं और यदि कोई कुंवारी कन्या यह व्रत करती है तो उसे भगवान शिव जैसा वर प्राप्त होता है. कहा जाता है कि माता सती ने भी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कोकिला व्रत किया था, इसलिए इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है.
कोकिला व्रत पूजन विधि
इस दिन सुबी उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्च पहनें और मंदिर साफ करें. इसके बाद मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें. फिर भगवान भोलेनाथ को पंचामृत का अभिषेक करें और गंगाजल अर्पित करें. भगवान और माता पार्वती का पूजन के लिए सामग्री में सफेद व लाल रंग के पुष्प, बेलपत्र, दूर्वा, गंध और धुप आदि का उपयोग करें. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और दिन भर निराहार व्रत करें. सूर्यास्त के बाद पूजा करें और फिर फलाहार लें. इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता. अगले दिन व्रत का पारण करने के पश्चात ही अन्न ग्रहण किया जाता है.
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