धर्म-अध्यात्म

जानें मां गंगा के पुनर्जन्म की पौराणिक और रोचक कथा

Kajal Dubey
8 May 2022 3:25 AM GMT
Know the mythological and interesting story of the reincarnation of Mother Ganga
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गंगा सप्तमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मनाई जाती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गंगा सप्तमी हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मनाई जाती है. इस दिन मां गंगा भगवान शिव (Lord Shiva) की जटाओं से होती हुई पृथ्वी पर पहुंची थीं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा नदी में स्नान और दान पुण्य का अत्यंत महत्व है.

कहा जाता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगाजल से स्नान करने पर व्यक्ति के हर पाप धुल जाते हैं और रोगों से भी मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं भोपाल के रहने वाले पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा, ज्योतिष क्या कहते हैं गंगा सप्तमी पर मां गंगा के पुनर्जन्म की से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में.
इस बार गंगा सप्तमी 8 मई 2022 दिन रविवार को मनाई जा रही है. गंगा सप्तमी एक शुभ समय है जिसे मां गंगा के पृथ्वी पर पुनर्जन्म के रूप में याद किया जाता है. इस दिन को गंगा जयंती के रूप में उन जगहों पर मनाया जाता है जहां से गंगा और सहायक नदियां बहती हैं.
सप्तमी तिथि पर हुआ पुनर्जन्म
दरअसल, गंगा दशहरे के दिन देवी गंगा ने पृथ्वी पर जन्म लिया था, लेकिन फिर भी गंगा सप्तमी को मां गंगा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि गंगा सप्तमी के दिन देवी गंगा ने पृथ्वी पर पुनर्जन्म लिया था.
पुनर्जन्म की कथा के अनुसार भागीरथ की कड़ी तपस्या के बाद जब भगवान शिव ने देवी गंगा को पृथ्वी के लिए छोड़ा तो उनके प्रवाह का वेग इतना तेज था कि उन्होंने जाह्नु ऋषि के खेतों को उजाड़ दिया. जिससे क्रोधित होकर जाह्नु ऋषि ने गंगा नदी का पानी पीना शुरु किया और धीरे-धीरे सारा पानी पी लिया. उसके बाद सभी देवताओं ने राजा भागीरथ के साथ मिलकर क्रोधित जाह्नु ऋषि से गंगा नदी को फिर से मुक्त करने का आग्रह किया. उनके आग्रह पर ऋषि जाह्नु ने गंगा नदी को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर अपने कान के जरिए मुक्त कर दिया.


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