धर्म-अध्यात्म

जानिए बहुला चतुर्थी और हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि

Tara Tandi
15 Aug 2022 5:36 AM GMT
जानिए बहुला चतुर्थी और हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि
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आज 15 अगस्त सोमवार को बहुला चतुर्थी (Bahul Chaturthi) और हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत (Heramba Sankashti Chaturthi) है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज 15 अगस्त सोमवार को बहुला चतुर्थी (Bahul Chaturthi) और हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत (Heramba Sankashti Chaturthi) है. भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है. जो लोग बहुला चतुर्थी का व्रत रखते हैं, वे भगवान श्रीकृष्ण और बहुला गाय की पूजा करते हैं. जो लोग हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत रखते हैं, वे आज भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं. उनकी कृपा से संकट, दुख, रोग आदि दूर होते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं बहुला चतुर्थी और हेरंब संकष्टी चतुर्थी व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.

हेरंब संकष्टी चतुर्थी और बहुला चतुर्थी 2022 मुहूर्त
भाद्रपद मा​ह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: 14 अगस्त, रविवार, रात 10 बजकर 35 मिनट से
भाद्रपद मा​ह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन: 15 अगस्त, सोमवार, रात 09 बजकर 01 मिनट पर
धृति योग: प्रात:काल से लेकर रात 11 बजकर 24 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त: 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक
चंद्रोदय समय
चंद्रमा के उदय का समय: रात 09 बजकर 27 मिनट पर
चंद्रमा के अस्त का समय: 16 अगस्त, सुबह 09 बजकर 04 मिनट पर
बहुला चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन प्रात: स्नान आदि के बाद बहुला चतुर्थी व्रत और पूजा का संकल्प करके व्रत रखते हैं. शुभ समय में भगवान श्रीकृष्ण और बहुला गाय की मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है. भगवान श्रीकृष्ण ने बहुला गाय की परीक्षा लेने के लिए सिंह का रूप धारण किया था. इस वजह से बहुला गाय और सिंह की मूर्ति की भी पूजा करने की परंपरा हैं.
अक्षत्, फूल, फल, धूप, दीप, गंध आदि से भगवान श्रीकृष्ण और गाय की पूजा करते हैं. उसके बाद बहुला चतुर्थी व्रत की कथा सुनते हैं. इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है और संतान का जीवन सुखमय होता है.
हेरंब संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
जो लोग आज हेरंब संकष्टी चतुर्थी का व्रत हैं, वे शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा लाल फूल, दूर्वा, अक्षत्, कुमकुम, चंदन, धूप, दीप, गंध आदि से करें. उनको मोदक या फिर बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं. फिर गणेश चालीसा और संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें. उसके बाद घी के दीपक से गणेश जी की आरती करें. रात के समय चंद्रमा के उदय होने पर जल से अर्घ्य दें. चंद्रमा की पूजा के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.
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