धर्म-अध्यात्म

भगवान कल्कि की पूजा विधि, जानिए

Ritisha Jaiswal
12 Aug 2021 7:24 AM GMT
भगवान कल्कि की पूजा विधि, जानिए
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पुराणों के अनुसार, कलयुग के अंत में भगवान विष्णु का अंतिम अवतार होगा। इस अवतार में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में जन्म लेंगे।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पुराणों के अनुसार, कलयुग के अंत में भगवान विष्णु का अंतिम अवतार होगा। इस अवतार में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में जन्म लेंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान कल्कि कलयुग में फैले द्वेष का पूर्ण विनाश करके धर्म का निर्माण करने के लिए जन्म लेंगे। सावन के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कल्कि की जयंती मनाई जाती है। यह 13 अगस्त दिन शुक्रवार को पड़ रही है। भगवान विष्णु का यह पहला अवतार है, जिसकी जयंती जन्म से पहले मनाई जाती रही है। आइये जानते हैं भगवान कल्कि की जयंती तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का सही विधि-विधान।

कल्कि जयंती तिथि
कल्कि जयंती का शुभ मुहूर्त शुक्रवार, 13 अगस्त 2021 शाम 04 बजकर 24 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक
शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि का प्रारंभ : 13 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार, दोपहर 01 बजकर 42 मिनट से
शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि का समापन : 14 अगस्त 2021 दिन शनिवार, सुबह 11 बजकर 50 मिनट तक
भगवान कल्कि की पूजा विधि
इस दिन सबसे पहले प्रातःकाल स्‍नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर व्रत का संकल्‍प लेना चाहिए। पूजा के स्थान को साफ सुथरा कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान कल्कि की प्रतिमूर्ति को गंगाजल से नहलाकर वस्त्र पहनाएं। पूजा स्थान पर एक चौकी रखकर उस पर लाल कपड़ा फैलाकर भगवान कल्कि को स्‍थापित करें। धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्‍प और अगरबत्‍ती आदि की मदद से पूजा करें। पूजा के उपरांत भगवान कल्कि को याद करते हुए दुखों के विनाश की कामना करनी चाहिए। सबसे अंत में सभी भक्तजनों के बीच प्रसाद वितरित करें।


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