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बसे पहले स्नानादि करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद ही इसका पाठ करें।
रावण ने अपने आराध्य शिव की स्तुति में शिव तांडव स्तोत्र की रचना की थी। इस स्त्रोत को विधिवत रूप से पढ़ना चाहिए तो ही इसका लाभ मिलता है। यदि आप इस स्त्रोत का विधिवत रूप से पाठ नहीं कर पाते हैं तो यह अच्छा नहीं माना जाता है। आओ जानते हैं कि शिव ताण्डव स्त्रोत का पाठ कब और कैसे करना चाहिए।
शिवतांडव स्तोत्र की विधि | shiv tandav stotram vidhi:
- इसका पाठ प्रातः काल या प्रदोष काल में करना चाहिए।
- सबसे पहले स्नानादि करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद ही इसका पाठ करें।
- शिवजी की चित्र, तस्वीर या मूर्ति के समक्ष प्रणाम करने के बाद उनकी पूजा करने के बाद पाठ करें।
- सफेद कुर्ता और धोति पहनकर कुश के आसन पर बैठकर ही इसका पाठ करें।
- यह पाठ उच्च स्वर और शुद्ध उच्चारण में भी कर सकते हैं।
- इसके लिए पहले आप शब्दों का अच्छे से समझकर उसका शुद्ध उच्चारण करना सीखें।
- पाठ पूर्ण होने के बाद शिवजी का ध्यान करें और फिर उनकी पंचोपचार विधि से पूजा के बाद आरती करें।
Apurva Srivastav
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