धर्म-अध्यात्म

जानें देश के प्रमुख नाग मंदिर और उनका महत्व

Ritisha Jaiswal
27 July 2021 11:14 AM GMT
जानें देश के प्रमुख नाग मंदिर और उनका महत्व
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सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा के साथ उनके गले में हार की तरह सुशोभित नाग देवता की पूजा का भी अत्यंत महत्व है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा के साथ उनके गले में हार की तरह सुशोभित नाग देवता की पूजा का भी अत्यंत महत्व है. श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का महापर्व मनाया जाता है. इस दिन नाग देवता की पूजा का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी है. नाग पंचमी के दिन शिव भक्त तमाम तरह की मंगलकामनाओं के साथ कुंडली से जुड़े कालसर्प दोष को दूर करने के लिए विधि–विधान से नाग देवता का पूजन और दर्शन करते हैं. इस साल नाग पंचमी तिथि 12 अगस्त 2021 को दोपहर 03:24 मिनट से प्रारंभ हो कर 13 अगस्त 2021 की दोपहर 01:42 बजे तक रहेगी. ऐसे में देश के उन सभी नाग मंदिरों में भक्तों की भीड़ पहुंचेगी, जहां पर जाकर दर्शन मात्र करने से ही सारे दोष दूर होते हैं और सुख–समृद्धि की प्राप्ति होती है. आइए जानते देश के कुछ प्रसिद्ध नाग मंदिरों के बारे में –

जहां मौजूद हैं नागों की हजारों मूर्तियां
नाग देवता की पूजा के लिए यह मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है क्योंकि इस मंदिर में सर्पों की हजारों प्रतिमाएं मौजूद हैं. लोग इसे स्नेक टेम्पल के नाम से भी जानते हैं. केरल के अलेप्पी जिले से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर हरे–भरे जंगलों से घिरा हुआ है. नागों के इस महातीर्थ स्थान के बारे में मान्यता है कि यदि यहां पर पूजा करने से लोगों की सूनी गोद भर जाती है और स्वस्थ सुंदर संतान की प्राप्ति होती है.

साल में सिर्फ एक बार खुलता है यह मंदिर
नागचंद्रेश्वर का मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर परिसर में स्थित है. यह मंदिर ​साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन ही भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान नागचंद्रेश्वर का दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भविष्य में सर्प से कोई भय नहीं रहता है. वह सर्पदोष से मुक्त हो जाता है. इस दिन यहां पर कालसर्प दोष दूर करने के लिए लोग विशेष पूजा करते हैं.
यहां दर्शन से दूर होता है कालसर्प दोष
तीर्थों के राजा प्रयागराज में स्थित है यह पावन धाम. गंगा नदी के किनारे नागपंचमी के दिन भक्तों की बड़ी भीड़ लगती है. लोग यहां पर कालसर्प दोष की विशेष पूजा कराने के लिए दूर–दूर से पहुंचते हैं.


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