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हिंदू धर्म में सप्ताह का हर वार किसी न किसी देवी-देवता की पूजा और व्रत के लिए समर्पित होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में सप्ताह का हर वार किसी न किसी देवी-देवता की पूजा और व्रत के लिए समर्पित होता है. जैसे रविवार का दिन सूर्य देव को, बुधवार का दिन श्रीगणेश को, सोमवार का दिन शिवजी को. इसी तरह से शनिवार का दिन शनि देव की पूजा और मंगलवार का दिन हनुमानजी की पूजा के लिए समर्पित है, लेकिन शनिवार के दिन शनि देव के साथ ही हनुमान जी की भी पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव भी प्रसन्न होते हैं. शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने के पीछे एक पौराणिक कथा है. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं शनिवार के दिन शनि देव और हनुमान जी की पूजा से जुड़े इस पौराणिक कथा के बारे में..
शनि देव और हनुमान जी से जुड़ी पौराणिक कथा
शनि देव और हनुमान जी की ये पौराणिक कथा त्रेतायुग के रामायण काल से जुड़ी है, जिसके अनुसार, रावण ने जब माता सीता का हरण कर लिया था, तब हनुमान जी प्रभु राम के आदेश पर माता सीता को ढूंढ़ते हुए लंका पहुंचे. लंका पहुंचने पर हनुमान जी ने देखा कि रावण ने शनि देव को भी पहले से बंदी बना रखा है.
हनुमान जी ने शनि देव की सहायता की और रावण की कैद से उन्हें मुक्त कराया. इससे भगवान शनि देव प्रसन्न हुए और हनुमान जी को वरदान मांगने को कहा. हनुमान जी ने शनि देव से कहा, जो भक्त शनिवार के दिन मेरी पूजा करेगा, आप उसे अशुभ फल नहीं देंगे. शनि देव ने हनुमान जी की बात पर हामी भर दी. इसके बाद से ही शनिवार के दिन शनि देव के साथ हनुमान जी की भी पूजा करने का विधान है.
शनिवार के दिन पूजा करने वाले भक्तों पर हनुमान जी और शनि देव की कृपा बनी रहती है, इसलिए जो भक्त श्रद्धा-भक्ति से हनुमानजी की पूजा करते हैं, उसे शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव से भी राहत मिलता है.
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