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माघ माह की गुप्त नवरात्रि में आदि शक्ति मां दुर्गा की दस महाविद्याओं के पूजन का विधान है।
माघ माह की गुप्त नवरात्रि में आदि शक्ति मां दुर्गा की दस महाविद्याओं के पूजन का विधान है। मां बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं।इनकी उपासना शत्रु नाश, वाकसिद्धी और वाद विवाद में विजय मिलती है। इनमें संपूर्ण ब्राह्मण्ड की शक्ति का समावेश है, इनकी उपासना से भक्त के जीवन की हर बाधा दूर होती है और शत्रुओ का नाश होता है। इसके साथ ही मां बगलामुखी बुरी शक्तियों का भी नाश करती है। देवी को बगलामुखी, पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। इनका प्रसिद्धि मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित है। आइए जानते हैं मां बगलामुखी के प्रादुर्भाव की पौराणिक कथा के बारे में....
मां बगलामुखी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सतयुग में ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा। चारों ओर हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। जिसे देख कर जगत का संचालन करने वाले भगवान विष्णु चिंतित हो उठे।समस्या का कोई हल न पा कर उन्होंने शिव जी का स्मरण किया। भगवान शिव ने कहा आदिशक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता। अत: आप उनकी शरण में ही जाएं। विष्णु जी ने सौराष्ट्र में हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया। भगवान विष्णु के तप से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हुईं। विष्णु जी के कहने पर आदि शक्ति के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ। इस तेज के प्रभाव से ये भयावह ब्रह्मांडीय तूफान रुक गया।
मां बगलामुखी का प्रादुर्भाव
वातावरण शांत होने के बाद देवी शक्ति का यह तेज मां बगलामुखी के रूप में प्रादुर्भाव हुआ। भगवती बगलामुखी देवी ने प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी को इच्छित वर दिया और सृष्टि का संचालन फिर से सुचारू रूप से होने लगा। मां बगलामुखी को वीर रति भी कहा जाता है ,इनके शिव को महारुद्र कहा जाता है। तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं। जबकि गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं।
TagsMaa Baglamukhi
Ritisha Jaiswal
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