धर्म-अध्यात्म

जानिए शिवजी के अर्धनारीश्वर रूप की रोचक कथा

Tara Tandi
13 Jun 2022 10:51 AM GMT
जानिए शिवजी के अर्धनारीश्वर रूप की रोचक कथा
x
भगवान शिव ऐसे देव हैं जिनकी पूजा-आराधना एवं मंत्र उच्चारण से वे शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान शिव ऐसे देव हैं जिनकी पूजा-आराधना एवं मंत्र उच्चारण से वे शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं,उनका कल्याण करते हैं। माना गया है कि शिव की साधना बहुत ही सरल है उन्हें एक लोटा जल से भी प्रसन्न किया जा सकता है। शिव मंत्र का जाप करते हुए सिर्फ एक बेलपत्र या शमी चढ़ाने भर से भी उनकी कृपा बरसने लगती है। शिव की अराधना के लिए सोमवार का दिन उत्तम माना गया है,विशेष रूप से इस दिन इनकी उपासना करने से मनुष्य के तीनों ताप दूर होते हैं। पूजा के साथ-साथ इस दिन शिवजी की कथाएं पढ़ने या सुनने से सुख-शांति आती है।

भोलेनाथ को उनके अनेक रूपों में पूजते हैं जैसे गंगाधर, नीलकंठ,अर्धनारीश्वर। अर्धनारीश्वर भगवान शिव का एक निर्मल स्वरूप है,इस रूप में उनके साथ शक्ति भी हैं। अर्धनारीश्वर स्वरूप का अर्थ है आधी स्त्री और आधा पुरुष। भगवान शिव के इस अर्धनारीश्वर स्वरूप के आधे हिस्से में पुरुष रूपी शिव का वास है तो आधे हिस्से में स्त्री रूपी शिवा यानि शक्ति का वास है। आइए आज जानते हैं कि भगवान शिव अर्धनारीश्वर कैसे हुए।
ये है पौराणिक कथा
शिवपुराण की कथा के अनुसार ब्रह्माजी को सृष्टि के निर्माण का कार्य सौंपा गया था,तब तक भगवान शिव ने सिर्फ विष्णुजी और ब्रह्मा जी को ही अवतरित किया था और किसी भी नारी की उत्पति नहीं हुई थी। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का काम शुरू किया,तब उनको ज्ञात हुआ की उनकी ये सारी रचनाएं तो जीवनोपरांत नष्ट हो जाएंगी और हर बार उन्हें नए सिरे से सृजन करना होगा। उनके सामने यह एक बहुत ही बड़ी दुविधा थी कि इस तरह से सृष्टि की वृद्धि आखिर कैसे होगी। तभी एक आकाशवाणी हुई कि- 'वे मैथुनी यानी प्रजनन सृष्टि का निर्माण करें,ताकि सृष्टि को बेहतर तरीके से संचालिक किया जा सके'।
अब उनके सामने एक नई दुविधा थी कि आखिर वो मैथुनी सृष्टि का निर्माण कैसे करें। काफी सोच-विचार करने के बाद वे भगवान शिव के पास पहुंचे और शिव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्मा जी ने कठोर तपस्या की और उनके तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए। ब्रह्मा जी के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर स्वरूप में दर्शन दिया। जब उन्होंने इस स्वरूप में दर्शन दिया तब उनके शरीर के आधे भाग में साक्षात शिव नजर आए और आधे भाग में स्त्री रूपी शिवा यानि शक्ति।अपने इस स्वरुप के दर्शन से भगवान शिव ने ब्रह्मा को प्रजननशील प्राणी के सृजन की प्रेरणा दी। उन्होंने ब्रह्मा जी से कहा कि मेरे इस अर्धनारीश्वर स्वरूप के जिस आधे हिस्से में शिव हैं वो पुरुष है और बाकी के आधे हिस्से में जो शक्ति है वो स्त्री है। आपको स्त्री और पुरुष दोनों की मैथुनी सृष्टि की रचना करनी है,जो प्रजनन के ज़रिए सृष्टि को आगे बढ़ा सके। ब्रह्माजी की स्तुति से प्रसन्न होकर शक्ति ने अपनी भृकुटि के मध्य से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति की सृष्टि की जिसने हिमालय की पुत्री पार्वती रूप में जन्म लेकर महादेव से मिलन किया।
Next Story