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जानिए शिवलिंग की पूजा का महत्व, क्या मिलता है फल
![जानिए शिवलिंग की पूजा का महत्व, क्या मिलता है फल जानिए शिवलिंग की पूजा का महत्व, क्या मिलता है फल](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/08/05/1218928--.gif)
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शिवपुराण में भगवान शिव शंकर का मास श्रावण बताया गया है। शिव उपासक श्रावण मास को शिव का स्वरूप मानते हैं। इसलिए इस माह में शिव उपासना का विशेष महत्व है। तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में लिखा है कि 'लिंग थापि बिधिवत करि पूजा। सिव समान प्रिय मोहि न दूजा'अर्थात श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना कर विधिवत उसका पूजन किया और कहा कि शिवजी के समान मुझे अन्य कोई प्रिय नहीं है। अतः अपने कल्याण के लिए सभी को लिंगमूर्ति सदाशिव की सर्वदा पूजा करनी चाहिए।
शिवलिंग की पूजा है कल्याणकारी
देवों के देव महादेव श्री शिव कल्याणकारी हैं ,सावन में उनकी पूजा-अभिषेक अनेक मनोरथों को पूर्ण करने वाली है। समस्त जगत लिंगमय है,सब कुछ लिंग में प्रतिष्ठित है,अतः जो आत्मसिद्धि चाहता है,उसे लिंग की बिधिवत पूजा करनी चाहिए। सभी देवता, दैत्य, सिद्धगण, पितर, मुनि, किन्नर आदि लिंगमूर्ति का अर्चन करके सिद्धि को प्राप्त हुए हैं। शिवलिंग का पूजन-अभिषेक करने से सभी देवी-देवताओं के अभिषेक का फल उसी क्षण प्राप्त हो जाता है। श्रीलिंग पुराण के अनुसार शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा,मध्य में तीनों लोकों के ईश्वर श्रीविष्णु तथा ऊपरी भाग में प्रणवसंज्ञक महादेव रूद्र सदाशिव विराजमान रहते हैं। लिंग की वेदी महादेवी अम्बिका हैं,वे (सत,रज,तम) तीनों गुणों से तथा त्रिदेवों युक्त रहती हैं। जो प्राणी उस वेदी के साथ लिंग की पूजा करता है वह शिव-पार्वती की कृपा सहजता से प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार तरह-तरह के सभी शिवलिंगों की पूजा सुख-सौभाग्य एवं सिद्धि प्रदान करने वाली होती है।
पारद शिवलिंग
भगवान शंकर को पारा अत्याधिक प्रिय है तथा रसराज पारद शिव का शक्ति रुपी विग्रह होने के कारण ही समस्त असुर तथा देवी-देवताओं के लिए वंदनीय है। शिवमहापुराण में शिवजी का कथन है कि करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है उससे भी करोड़ गुना अधिक फल पारद शिवलिंग की पूजा और उसके दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है। ब्रह्म हत्या,गौहत्या जैसे जघन्य अपराध पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं।इसके स्पर्श मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है ।जो मनुष्य पारद शिवलिंग की भक्ति पूर्वक पूजा-अभिषेक तथा दर्शन करता है ,उसे तीनों लोकों में स्थित समस्त शिवलिंगों के पूजन का फल मिलता है एवं सौ अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर का फल प्राप्त होता है।यह सभी तरह के लौकिक तथा परलौकिक सुख देने वाला है । इस शिवलिंग का जहां पूजन होता है वहां साक्षात शंकर का वास होता है।
रत्न निर्मित लिंग
रत्न से बने हुए लिंग की पूजा करने से मनुष्य को लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ऐसा लिंग पुराण में वर्णित है।
पाषाण का लिंग
पाषाण के लिंग की पूजा से मनुष्य को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं एवं मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
धातु का लिंग
धातु निर्मित लिंग की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है।
काष्ठ का लिंग
काष्ठ निर्मित लिंग भोग-सिद्धि प्रदान करने वाला है।
मिट्टी का लिंग
मिट्टी से बना हुआ (पार्थिव) शुभ लिंग सभी सिद्धियों की प्राप्ति कराने वाला है,हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है।
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