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![Know the importance of Shani Jayanti, auspicious time and worship method Know the importance of Shani Jayanti, auspicious time and worship method](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/05/18/1638097--.gif)
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या के दिन हुआ था, इसलिए हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव सभी को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वालों को शनि देव की कृपा बनी रहती है। वैसे तो शनिदेव न्यायप्रिय देवता हैं लेकिन इसके विपरीत बुरे कर्म करने वालों को शनिदेव दंड देते हैं। शनि की कुदृष्टि के दौरान जातक को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनिदेव को न्याय प्रिय देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाते हैं। हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 30 मई को है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन का काफी महत्व है। ऐसी मान्यता है कि साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा जैसे शनि से जुड़े दोषों से निजात पाने के लिए शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं शनि जयंती का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि।