धर्म-अध्यात्म

जानिए पंचामृत का महत्व

Tara Tandi
11 Aug 2022 7:07 AM GMT
जानिए पंचामृत का महत्व
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाने को हर कोई उत्सुक है. इस बार 18 अगस्त 2022 को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) का उत्सव मनाया जाएगा.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाने को हर कोई उत्सुक है. इस बार 18 अगस्त 2022 को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) का उत्सव मनाया जाएगा. इस खास मौके पर भक्त उपवास रखते हैं. श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. साथ ही श्रीकृष्ण को कई तरह के भोग लगाए जाते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण को पंजीरी के साथ पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि बिना पंचामृत के श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी रह जाती है. श्रीकृष्ण को पंचामृत के भोग लगाने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं हैं. आइये पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं पंचामृत का महत्व.

पंचामृत का महत्व
पंचामृत दो शब्दों से मिलकर बना है. पंच+अमृत, जिसका अर्थ है 'पांच' और 'अमृत'. पंचामृत को देवताओं का पेय भी कहा जाता है. पंचामृत एक पवित्र पेय है, जो अवयवों जैसे दूध, दही, घी, शहद, चीनी से बनकर तैयार होता है. पंचामृत को मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.
पंचामृत पहले देवताओं को चढ़ाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है. दूध शुद्ध और पवित्रता का प्रतीक है. घी शक्ति और जीत, शहद समर्पण और एकाग्रता का प्रतीक है. चीनी मिठास तो दही समृद्धि का प्रतीक है.
श्रीकृष्ण का प्रिय पेय
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण को पांच वस्तुएं बांसुरी, गाय, सखा, माखन मिसरी और मोर पंख प्रिय हैं. यही वजह है कि भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत का प्रसाद हमेशा से प्रिय रहा है, इसलिए श्री कृष्ण जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण को पंचामृत भोग लगाना शुभ होता है. इससे श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं.
पंचामृत को चरणामृत नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, पंचामृत को प्रतिरक्षा में सुधार, तेज मस्तिष्क और पित्त दोष को संतुलित करने के लिए भी प्रमुख माना जाता है.
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