धर्म-अध्यात्म

महावीर स्वामी कैवल्य ज्ञान दिवस जाने जैन धर्म में क्या है इसका महत्व

Tara Tandi
12 May 2024 8:24 AM GMT
महावीर स्वामी कैवल्य ज्ञान दिवस जाने जैन धर्म में क्या है इसका महत्व
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ज्योतिष न्यूज़ : महावीर स्वामी ने विक्रम संवत 249 (ईसा पूर्व 527) में वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि को जंबूद्वीप के लक्ष्मीपुर नामक स्थान पर कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया था. जैन कैलेंडर के अनुसार, यह तिथि चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की 14वीं तिथि (विक्रम संवत 250) के बराबर है. जैन कैलेंडर विक्रम संवत पर आधारित है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर से थोड़ा अलग होता है. जैन कैलेंडर में 12 महीने होते हैं, जिनमें प्रत्येक महीने में 30 दिन होते हैं. महावीर स्वामी ने 527 ईसा पूर्व में वैशाख मास की दशमी तिथि को ज्ञान कल्याण प्राप्त किया था. यह तिथि जैन कैलेंडर के अनुसार पंचमी तिथि के बराबर होती है. इस वर्ष, 2024 में, यह तिथि 18 मई, शनिवार को पड़ रही है. कैवल्य ज्ञान जैन धर्म में सर्वोच्च ज्ञान माना जाता है. यह ज्ञान केवल तीर्थंकर ही प्राप्त कर सकते हैं. महावीर स्वामी ने 24 वर्षों की कठोर तपस्या के बाद यह ज्ञान प्राप्त किया था. इस ज्ञान के प्राप्ति के बाद वे सर्वज्ञ और केवलज्ञानी बन गए
महावीर स्वामी के कैवल्य ज्ञान का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है. कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने के बाद, महावीर स्वामी सर्वज्ञ बन गए, यानी उन्हें सभी ज्ञान प्राप्त हो गए. इसके बाद उन्होंने अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य, अस्तेय और ब्रह्मचर्य जैसे 24 महाव्रतों का पालन करते हुए जैन धर्म की स्थापना की. महावीर स्वामी का कैवल्य ज्ञान मानव जीवन के लिए प्रेरणा का स्रोत है. यह हमें सिखाता है कि आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष प्राप्ति संभव है, यदि हम कठोर परिश्रम, तपस्या और नैतिक जीवन जीने का प्रयास करें.
कैवल्य ज्ञान क्या है ?
कैवल्य ज्ञान, जिसे ज्ञान या केवलज्ञान भी कहा जाता है, जैन धर्म में सर्वोच्च ज्ञान की अवस्था है. यह आत्मा की पूर्ण ज्ञान और असीम चेतना की स्थिति है. कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाला व्यक्ति सर्वज्ञ बन जाता है, यानी उसे सभी ज्ञान प्राप्त हो जाते हैं. कैवल्य ज्ञान जैन धर्म का केंद्रीय सिद्धांत है. यह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. यह उन्हें सिखाता है कि आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष प्राप्ति संभव है, यदि वे कठोर परिश्रम, तपस्या और नैतिक जीवन जीने का प्रयास करें. इस ज्ञान से महावीर स्वामी को तीन काल (भूत, वर्तमान और भविष्य) की सभी घटनाओं का ज्ञान हो गया था. महावीर स्वामी को इस ज्ञान से अणु-परमाणु तक की सभी वस्तुओं का ज्ञान हो गया था और वो निर्लिप्त और सर्वज्ञानी बन गए.
कैवल्य ज्ञान की विशेषताएं
सर्वज्ञता- कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाला व्यक्ति सभी ज्ञान प्राप्त कर लेता है. वह अतीत, वर्तमान और भविष्य को जान सकता है. वह सभी जीवों की स्थिति को जान सकता है. वह कर्म और पुनर्जन्म के चक्र को समझ सकता है.
अनंत चेतना- कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाले व्यक्ति की चेतना अनंत हो जाती है. वह समय और स्थान की सीमाओं से मुक्त हो जाता है. वह अहंकार और मोह से मुक्त हो जाता है.
अहिंसा- कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाला व्यक्ति अहिंसा का पूर्ण पालन करता है. वह सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम रखता है. वह किसी भी प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचाता है.
अपरिग्रह- कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपरिग्रह का पूर्ण पालन करता है. वह भौतिक वस्तुओं से मोहित नहीं होता है. वह सादा और संयमी जीवन जीता है.
सत्य- कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाला व्यक्ति सत्य का पूर्ण पालन करता है. वह हमेशा सच बोलता है और ईमानदारी से जीवन जीता है.
अस्तेय- कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाला व्यक्ति अस्तेय का पूर्ण पालन करता है. वह चोरी नहीं करता है. वह दूसरों की वस्तुओं का लोभ नहीं करता है.
ब्रह्मचर्य- कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाला व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करता है. वह यौन इच्छाओं से मुक्त होता है. वह ब्रह्मचर्य का जीवन जीता है.
कैवल्य ज्ञान प्राप्ति के बाद महावीर स्वामी ने अपना शेष जीवन धर्म प्रचार में लगा दिया. उन्होंने चार आर्य सत्य और पंच महाव्रतों का उपदेश दिया. उनके उपदेशों से प्रेरित होकर लाखों लोगों ने जैन धर्म ग्रहण किया. जैन कैलेंडर में महावीर स्वामी के ज्ञान कल्याण को मोक्ष कल्याण भी कहा जाता है. यह जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन जैन धर्मावलंबी उपवास, पूजा और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं.
इस वर्ष, 2024 में, महावीर स्वामी का ज्ञान कल्याण 18 मई, शनिवार को मनाया जाएगा. यह जैन धर्मावलंबियों के लिए एक विशेष अवसर है. वे इस दिन धर्म और आध्यात्मिकता का महत्व समझते हैं और महावीर स्वामी के उपदेशों का पालन करने का संकल्प लेते हैं
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