धर्म-अध्यात्म

जानिए खरना का महत्व और पूजा विधि

Kajal Dubey
6 April 2022 11:10 AM GMT
जानिए खरना का महत्व और पूजा विधि
x
चार दिवसीय चैती छठ का आज दूसरा दिन है। नहाय-खाय के साथ शुरू हुए इस पर्व के दूसरे दिन खरना होता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चार दिवसीय चैती छठ का आज दूसरा दिन है। नहाय-खाय के साथ शुरू हुए इस पर्व के दूसरे दिन खरना होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है। पहला चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में। कार्तिक मास यानी अक्टूबर-नवंबर में पड़ने वाली छठ का अधिक महत्व होता है। इस पर्व में सूर्य की उपासना के साथ उनकी बहन छठी माता की पूजा करने का विधान है। खरना के दिन व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ की खीर खाकर पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है जो चौथे दिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। जानिए खरना का महत्व और पूजा विधि।

खरना का महत्व
चैती छठ के दूसरे दिन खरना होता है। इसे लोहंडा नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रती सुबह स्नान आदि करके पूरे दिन व्रत रखकर भगवान सूर्य की पूजा करती हैं। इसके बाद शाम को पूजा के लिए गुड़ की खीर के साथ रोटी बनाई जाती है। इस भोग को रसिया नाम से जाना जाता है। इस प्रसाद की खास बात यह है कि इसे मिट्टी के बनाए गए नए चूल्हे में आम की लकड़ी को जलाकर बनाया जाता है। इसके साथ ही इसे मिट्टी या फिर पीतल के बर्तन में बनाया जाता है। अगर चूल्हा नहीं है तो आप साफ गैस में भी बना सकते हैं। भगवान सूर्य को भोग लगाने के लिए इस प्रसाद को केले के पत्ते में रखा जाता है।
चैती छठ की प्रमुख तिथियां
6 अप्रैल बुधवार- खरना
7 अप्रैल गुरुवार- डूबते सूर्य को अर्घ्य
8 अप्रैल शुक्रवार- उगते सूर्य का अर्घ्य
सूर्य को अर्घ्य देने का समय
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 7 अप्रैल को शाम 5 बजकर 30 मिनट में सूर्यास्त होगा
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 8 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 40 मिनट में सूर्योदय


Next Story