धर्म-अध्यात्म

जानिए हिन्दू धर्मं में "हवन" पूजा का महत्व, और उससें जुड़े लाभ के बारें में

Kiran
8 Jun 2023 1:35 PM GMT
जानिए हिन्दू धर्मं में हवन पूजा का महत्व, और उससें जुड़े लाभ के बारें में
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यह कहा जाये कि हिन्दू सनातन धर्म में पूजा का सबसे अच्छा मार्ग हवन और यज्ञ है तो इसमे किसी को कोई शंका नही होगी। इस विधि से भगवान को सदियों पहले से ही हमारे ऋषि मुनि रिझाते हुए आये है। यज्ञ को अग्निहोत्र कहते हैं। अग्नि ही यज्ञ का प्रधान देवता हे। हवन में डाली गयी सामग्री प्रसाद सीधे हमारे आराध्य देवी देवताओ तक पवित्र अग्नि के माध्यम से जाता है। हवन का एक सबसे अच्छा लाभ यह है की इसके धुएं से वातावरण शुद्ध होता है। कुण्ड में अग्नि के माध्यम से भगवान के निकट हवि पहुँचाने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं। आइये जानते हैं हवन का महत्व और इनसे होने वाले लाभ के बारे में।
# हवन में डाली जाने वाली समाग्रियों के जलने पर जो धुंआ उठता है वह व्यक्तियों की आंख, नाक, फेफड़ो के अलावा वातावरण को भी शुद्ध करता है।
# ऐसा माना जाता है कि यदि आपके आस पास किसी बुरी आत्मा इत्यादि का प्रभाव है तो हवन प्रक्रिया इससे आपको मुक्ति दिलाती है। शुभकामना, स्वास्थ्य एवं समृद्धि इत्यादि के लिए भी हवन किया जाता है।
# लोकहित की कामना से किया गया हवन या यज्ञ वातावरण को शुद्ध करता है। वायु शुद्धि से लोक हित साधन होता है, देवताओं का आशीर्वाद मिलता है, धन की प्राप्ति होती है, अरोग्यता प्राप्त होती है, यज्ञानुष्ठान के बिना उत्साह, बैद्धिक बल व सत्य की प्राप्ति नहीं होती है।
# स्वास्थ्य के नजरिये से यज्ञ की पवित्र अग्नि के धुएं से वातावरण के कीटाणु और हानिकारक जीव नष्ट होते है जिससे शुद्धिकरण होता है। हवन में हव्य जैसे फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि मिलकर वायुमण्डल को स्वास्थ्यकर बनाते है। अत: यह वैज्ञानिक द्रष्टि से भी अत्यंत महत्व रखता है। हवन करने वाले और आस पास के व्यक्ति के शरीर को शुद्ध करती है।
# हवन एक ऐसी विधा है जिसके नियमित करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है तथा अपने विरोधी का नुकसान व अपनी शक्ति ज्यादा बढ़ा देता है इसलिए तामसी प्रवृत्ति वाले तांत्रिक भी इसका भरपुर उपयोग करते है।
# हवन सब वाष्प रूप से अपने मूल तत्वों के साथ विद्यमान है। अग्नि वायु को उर्ध्वगामी बनाकर वायुमण्डल में प्रसारित करता है। अग्नि की विश्लेषक शक्ति से यह गैस प्राणियों और वनस्पतियों के लिए उपयोगी गैसों में बदलते हुये निश्चित दूरी तक उपर उठती है। वहां आकाशीय तापमान की शीतलता से वाष्प जल रूप होकर पृथ्वी पर बरसते है।
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