धर्म-अध्यात्म

जानिए गंगा दशहरा का महत्व

Tara Tandi
8 Jun 2022 9:23 AM GMT
जानिए गंगा दशहरा का महत्व
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हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन भागीरथ की तपस्या सफल हुई थी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन भागीरथ की तपस्या सफल हुई थी और मां गंगा शिव की जटाओं में से होकर जमीन पर उतरी थीं. इस दिन को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) कहा जाता है. लोक भाषा में इसे ज्येष्ठ दशहरा या जेठ दशहरा भी कहा जाता है. इस बार गंगा दशहरा का पर्व 9 जून को गुरुवार के दिन है. गंगा दशहरा के दिन 10 अंक का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान से व्यक्ति के 10 तरह के पाप कटते हैं, वहीं 10 तरह की चीजों को दान करना शुभ माना गया है.

10 बार लगानी चाहिए गंगा जल में डुबकी
वैसे तो गंगा स्नान हमेशा ही शुभ माना गया है क्योंकि गंगा मैया को मोक्षदायिनी कहा जाता है. लेकिन गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का खास महत्व माना गया है. इस दिन गंगा में 10 बार डुबकी लगाने की बात कही गई है. इसके अलावा गंगा मैया के मंत्र का कम से कम 10 बार जाप करना चाहिए. अगर आप गंगा स्तोत्र पढ़ रहे हैं तो इसे गंगा जल में खड़े होकर 10 बार पढ़ें. माना जाता है कि इससे आपके पाप तो कटते ही हैं, साथ ही व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
इन 10 चीजों का करें दान
गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान और गंगा पूजन के बाद 10 चीजों का दान करने की बात कही गई है. माना जाता है कि इस दिन दान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा ग्रहों से जुड़ी तकलीफें दूर होती हैं. गंगा दशहरा के दिन 10 चीजों को दान करने की बात कही गई है. ये चीजें हैं- जल, अन्न, फल, वस्त्र, पूजन या सुहाग सामग्री, घी, नमक, तेल, शक्कर और स्वर्ण.
गंगा स्नान से धुलते हैं 10 तरह के पाप
गंगा मैय्या को बहुत ही पवित्र माना गया है. मान्यता है कि गंगा स्नान मात्र से व्यक्ति के तमाम पाप धुल जाते हैं. शास्त्रों में गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का महत्व बताते हुए 10 तरह के पाप मिटने की बात कही गई हैं. इन 10 तरह के पापों को तीन तरह के वर्गों में बांटा गया है.
दैहिक पाप : किसी की वस्तु को बिना अनुमति के रखना, निषिद्ध हिंसा, परस्त्री संगम, इन तीन तरह के पापों को दैहिक पाप माना गया है.
वाणी पाप : किसी को कटु वचन कहना, झूठ बोलना, चुगली करना और वाणी द्वारा मन को दुखाना. ये चार तरह के पाप वाणी से होने वाले पाप हैं.
मानसिक पाप : दूसरे के धन को लेने का विचार करना, मन से किसी का बुरा सोचना और असत्य वस्तुओं में आग्रह रखना. ये तीन गलत विचार मानसिक पाप माने गए हैं. मान्यता है कि गंगा स्नान से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं.
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