- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- गुरुवार के दिन करें इन...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Thursday Mantras 2022 : गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है और केले के पौधे का नित्य पूजा करता है, उनके जीवन के सारे दुख और समस्याएं दूर हो जाती हैं, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की सच्ची श्रद्धा से पूजा-अर्चना करना चाहिए. मान्यता है कि भगवान विष्णु का जो स्वरूप है वह बेहद शांत और आनंदमयी है, इसलिए इनकी पूजा करने से आंतरिक शांति मिलती है और धन-वैभव की प्राप्ति होती है. वहीं इस दिन मंत्रों का जाप करना भी विशेष फलदायी होता है. तो ऐसे में आइए जानते हैं कि भगवान विष्णु के कौन से चमत्कारी मंत्र का जाप करना चाहिए, जिससे जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
गुरुवार के दिन करें इन मंत्रों का जाप
1. इस मंत्र का 21 बार जाप करना बेहद शुभ होता है
श्री विष्णु मूल मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥
2. इस मंत्र का 51 बार जाप करना चाहिए
श्री विष्णु भगवते वासुदेवाय मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय
3.इस मंत्र का 101 बार जाप करना बेहद उत्तम फलदायी होता है
श्री विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्
4.इस मंत्र का 12 बार जाप करें, ये श्राहरि भगवान विष्णु का मूल मंत्र है
मंगल श्री विष्णु मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः
संध्या के समय श्राहरि भगवान विष्णु को घी का दीपक जलाएं और इस आरती को करें
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥