धर्म-अध्यात्म

जानें भौम प्रदोष व्रत का महत्व

Tara Tandi
9 Aug 2022 5:00 AM GMT
जानें भौम प्रदोष व्रत का महत्व
x

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन माह के शुक्ल पक्ष ​की त्रयोदशी व्रत यानि श्रावण प्रदोष व्रत (Sawan Pradosh Vrat) आज है. यह सावन का दूसरा प्रदोष व्रत है. मंगलवार दिन की वजह से इसे भौम प्रदोष व्रत भी कहते हैं. हिंदू कैलेडर के अनुसार, त्रयोदशी ति​थि का प्रारंभ आज शाम 05 बजकर 45 मिनट से होगा और यह कल दोपहर 02 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. हालां​कि त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल की शिव पूजा का मुहूर्त आज ही है, इसलिए प्रदोष व्रत आज है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार आज प्रदोष काल में शिव पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 07 बजकर 06 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट तक है.

भौम प्रदोष व्रत का महत्व
1. भौम प्रदोष व्रत रखने से आरोग्य की प्राप्ति होती है. शिव कृपा से सभी रोग और दुख दूर हो जाते हैं. उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
2. जिन लोगों पर कर्ज का बोझ है, उन लोगों को भी भौम प्रदोष व्रत रखना चाहिए. भगवान शिव की कृपा से कर्ज खत्म हो जाता है और आर्थिक संकट भी दूर हो जाता है.
3. यदि आपकी कुंडली में मंगल ग्रह का दोष है तो आपको भौम प्रदोष व्रत रखना चाहिए और विधि विधान से शिव जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए.
4. भौम प्रदोष व्रत के दिन शिव जी के साथ रुद्रावतार हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए. पूजा में रोट का भोग और लाल लंगोट अर्पित करें. इससे वे प्रसन्न होंगे और दुखों को दूर करके मनोकामनाएं पूरी करेंगे.
भौम प्रदोष की शिव पूजा विधि
आज प्रात: स्नान के बाद सफेद या हरे रंग के वस्त्र पहनें. ये दोनों रंग शिव जी को प्रिय हैं. फिर व्रत और पूजा का संकल्प करके शिवलिंग कागंगाजल से अभिषेक करें. महादेव को सफेद चंदन, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, शहद, गाय का दूध आदि अर्पित करें.
शिव जी को माला, धूप, दीप, गंध, वस्त्र आदि से सुशोभित करें. उसके बाद फल, मिठाई आदि चढ़ाएं. अब शिव चालीसा और भौम प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. उसके बाद घी के दीपक से शिव जी का आरती करें.
भगवान शिव से अपनी मनोकामना व्यक्त करें और अपने गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें.
Next Story