धर्म-अध्यात्म

जानिए मकर संक्रांति के दिन स्नान करने का महत्व और इनके शुभ मुहूर्त

Tara Tandi
12 Jan 2021 10:48 AM GMT
जानिए मकर संक्रांति के दिन स्नान करने का महत्व और इनके शुभ मुहूर्त
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दान पुण्य का त्योहार मकर संक्रांति 14 जनवरी को है.

जनता से रिश्ता बेवङेस्क| दान पुण्य का त्योहार मकर संक्रांति 14 जनवरी को है. इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में चलते हैं. इसे ही सूर्य की मकर संक्रांति कहा जाता है. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का समापन हो जाता है और शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है. जानें इसके बारे में.

जानें स्नान और दान का महत्व

माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भागीरथ के आग्रह और तप से प्रभाव‍ित होकर गंगा उनके पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम पहुंची थीं और वहां से होते हुए वह समुद्र में जा म‍िली थीं. इसी दिन राजा भागीरथ ने गंगा के पावन जल से अपने पूर्वजों का तर्पण किया था. इसलिए मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करना काफी फलदायी माना गया है. मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से सभी पाप मिट जाते हैं. इस दिन किया जाने वाला स्नान व दान का पुण्य सीधे वैकुंठ धाम में परमेश्वर तक पहुंचता है. जो लोग गंगा नदी में स्नान नहीं जा सकते वे घर में ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं.

भीष्म पितामह ने छोड़ा था शरीर

मकर संक्रांति का दिन वैकुंठ प्राप्ति का दिन है. भीष्म पितामह मकर संक्रान्ति के दिन की प्रतीक्षा में 9 दिन तक कुरुक्षेत्र में बाण की शैया पर बने रहे थे और अपने प्राणों को रोके रखा था. मकर संक्रांति आने पर उन्होंने अपना शरीर छोड़ा.

पूजा का समय

14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 08 बजकर 30 मिनट से शाम को 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. वमहा पुण्य काल सुबह 08 बजकर 30 मिनट से दिन में 10 बजकर 15 मिनट तक है. माना जाता है कि पुण्य काल के समय दान और स्नान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

ऐसे करें पूजा

इस दिन सूर्यदेव की आराधना की जाती है. उन्हें जल, अक्षत, गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, तांबा, सुपारी, लाल फूल और दक्षिणा आदि अर्पित किए जाते हैं. पूजा के बाद दान वगैरह किया जाता है. दान पुण्य के समय तक व्रत रखा जाता है, दान के बाद व्रत खोल सकते हैं.

इन नामों से प्रचलित है मकर संक्रांति

मकर संक्रांति को देश के तमाम हिस्सों में अलग अलग नाम से मनाया जाता है. दक्षिण भारत में पोंगल, गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण कहा जाता है. इन दोनों राज्यों में इस दिन पंतग महोत्सव भी मनाया जाता है. हरियाणा और पंजाब में इस त्योहार को माघी और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के तमाम हिस्सों में इसे खिचड़ी कहा जाता है.

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