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सावन मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है। हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा का विधान है। इस दिन सुहागिनें श्रृंगार का सामान बांटती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस साल हरियाली अमावस्या या सावन मास की अमावस्या 28 जुलाई को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के मूल भाग में जल, दूध चढ़ाने से पितृ तृप्त होते हैं। शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव शांत होते हैं। जानिए हरियाली अमावस्या का महत्व, पूजन विधि व शुभ मुहूर्त-
हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त-
अमावस्या का प्रारंभ 27 जुलाई को रात 09 बजकर 11 मिनट हो रहा है, जो अगले दिन 28 जुलाई को रात 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। इसके बाद श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा प्रारंभ हो जाएगी।
हरियाली अमावस्या की पूजा विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए। सुहागन महिलाओं को माता पार्वती की पूजा करने के बाद सुहाग सामग्री बांटनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन जो भी महिला सुहाग सबंधी सामग्री जैसे हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी बांटती है उसके सुहाग की आयु लंबी होती है और घर में खुशहाली बनी रहती है। हरियाली अमावस्या के दिन पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और प्रसाद में मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। जो लोग इस दिन उपवास रखते हैं वो शाम को भोजन ग्रहण करके अपना व्रत खोलते हैं।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए लगाएं कदम्ब या आंवले का वृक्ष-
भविष्यपुराण में लिखा है कि जिसको संतान नहीं है, उसके लिए वृक्ष ही संतान हैं। जो वृक्ष लगाते हैं, उनके लौकिक-पारलौकिक कर्म वृक्ष ही करते हैं, इसलिए जिनके संतान नहीं है, उन्हें तो अवश्य वृक्ष लगाने चाहिए। वृक्ष में विद्यमान देवी-देवता पूजा करने वालों की इच्छा पूर्ण करते हैं। दिन-रात ऑक्सीजन देने वाले पीपल में ब्रह्मा, विष्णु व शिव का वास होता है।
Tara Tandi
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