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- जानिए शिव की चार प्रहर...
संसार के सभी विष को पीकर जो लोक–मंगल का कार्य करते हैं, उन्हीं का नाम शिव है. श्रावण मास में उनकी साधना–आराधना का अत्यधिक महत्व है, इसलिए लोग अपनी कामना के अनुसार शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. शिवलिंग का अर्थ होता है शिव का ज्ञान कराने वाला. शिव के साधकों के लिए सबसे बड़ा पर्व है शिवरात्रि. इस दिन शिव की साधना के मुख्य रूप से तीन चीजें बहुत मायने रखती हैं, जिनमें है शिवरात्रि का उपवास, शिव की पावन रात्रि का जागरण और शिव की चार प्रहर की पूजा और उनका अभिषेक. इन तीनों के समन्वय से ही शिवरात्रि के पर्व का पुण्य शिव के साधक को प्राप्त होता है. आइए जानते हैं शिवरात्रि में शिव की पूजा का महत्व एवं विधि –
चार प्रहर की पूजा विधि
श्रावण मास में शिव की पूजा एवं उपवास के लिए प्रत्येक दिन शुभ है, लेकिन रात्रि जागरण के लिए शिवरात्रि ही शुभ मानी गई है. शिवरात्रि पर शिव की चार प्रहर की पूजा एवं अभिषेक का विधान है. शिवरात्रि के दिन चार प्रहर की पूजा करने के लिए शिव के साधक को सूर्यास्त के पूर्व ही स्नान कर लेना चाहिए. सूर्यास्त के पश्चात् उसे भगवान शिव की साधना आरंभ करनी चाहिए. यदि संभव हो तो इस पूजा को किसी शिवालय में करें, अन्यथा अपने घर में ही शिवजी का चित्र या मूर्ति रखकर करें.
इन बातों का रखें ध्यान
चार प्रहर की पूजा के तहत प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की विधि–विधान से पूजा एवं अभिषेक करें. उनका दूध एवं जल से रुद्राष्टध्यायी क मंत्रों के साथ अभिषेक करें. यदि आप स्वयं रुद्राष्टध्यायी न कर पाएं तो भगवान शिव के सहस्त्रनाम या फिर रुद्राष्टकमं अथवा सिर्फ 'ह्रीं शिवाय नम:' का जप करते हुए शिव का जलाभिषेक करें. शिवरात्रि के चारों प्रहर में इसी प्रकार से भगवान शिव का पूजन करें. ध्यान रहे कि एक प्रहर की पूजा समाप्त करने के बाद दूसरी प्रहर की पूजा के लिए दोबारा स्नान अवश्य करें.
शिवरात्रि की पूजा का फल
शिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शिव की आराधना करने पर साधक के सभी मनोरथ पूरे होते हैं. शिव पूजा ही वह साधना है, जिसके माध्यम से साधना करने वाले को सुयोग्य वर या वधू, सुयोग्य संतान, धन, यश, कीर्ति आदि की प्राप्ति होती है और जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं. ज्योतिष के अनुसार शिवरात्रि पर काल महाकाल रुद्र की उपासना करने पर कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)