धर्म-अध्यात्म

जानिए श्री कृष्ण के चरणों की महिमा और पूजा करने से मिलने वाला फल

Gulabi
30 Aug 2021 10:02 AM GMT
जानिए श्री कृष्ण के चरणों की महिमा और पूजा करने से मिलने वाला फल
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मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण दो वर्ष के थे तब एक दिन माता यशोदा ने उन्हें छकड़े के बीच सुला दिया

भगवान श्री कृष्ण के चरणों में अद्र्धचंद्र, मछली, शंख, धनुष, त्रिकोण, कलश, चक्र, स्वास्तिक जैसे पवित्र चिन्हों को देखकर उनकी दिव्यता का अनुभव होता है. निश्चित रूप से इन शुभ प्रतीक किसी ईश्वर के अवतार वाले महापुरुष के चरणों ही संभव हैं. द्वापरयुग में श्री कृष्ण के जिन पावन चरणों के स्पर्श मात्र से लोगों का उद्धार हो जाता था, उनके दिव्य चरण कमल का दर्शन कलयुग में सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है. मुरली मनोहर के चरणों में व्याप्त शक्ति लोगों को सभी दुःखों व बंधनों से मुक्त करने वाली है.

तब कान्हा के नन्हें पैर से मिली असुर को मुक्ति
मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण दो वर्ष के थे तब एक दिन माता यशोदा ने उन्हें छकड़े के बीच सुला दिया. यह छकड़ा अदृश्य रूप में एक असुर था. इसके बाद जब बाल गोपाल भगवान श्रीकृष्ण की आंखें खुलीं और उन्होंने रोते-रोते अपने नन्हें पांवों को उछालना शुरु किया. भगवान श्रीकृष्ण के नन्हें से पाव के लगते ही विशाल छकड़ा उलट जाता है और उसकी चपेट में आते ही उस असुर को इस मायावी दुनिया से मुक्ति मिल जाती है.
तब पांडवों को मिला कृष्ण के चरणों का प्रसाद
भगवान कृष्ण के चरणों में सारा संसार बसा हुआ है. मान्यता है कि जो कोई भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों में अपनी आस्था और विश्वास रखता है, जीवन में उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है और उसे कभी भी पराजय का मुख नहीं देखना पड़ता है. द्यूत क्रीड़ा में हारने के बाद जब पांडव बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास करके वापस आए और उन्होंने अपना राजपाट दुर्योधन से वापस मांगा तो उसने देने से इंकार कर दिया. इसके बाद जब पांडवों को उनका हक नहीं मिला तो महाभारत के युद्ध की तैयारी होने लगी. जिसके लिए अर्जुन और दुर्योधन दोनों भगवान कृष्ण की मदद मांगने के लिए गये, लेकिन उस समय भगवान कृष्ण सोए हुए थे. ऐसे में दुर्योधन भगवान श्री कृष्ण के सिर की तरफ और अर्जुन भगवान श्री कृष्ण के चरणों की तरफ खड़े होग.
जब भगवान कृष्ण की नींद खुली तो सबसे पहले उनकी नजर अर्जुन पर पड़ी. इसके बाद उन्होंने दोनों से वहां पर आने का कारण पूछा तो दुर्योधन ने कहा कि मैं यहां पर मैं पहले आया हूं पहले मेरी बात सुनें, लेकिन भगवान कृष्ण ने कहा कि उनकी नजर सबसे पहले अर्जुन पर पड़ी इसलिए वे अर्जुन की बात पहले सुनेंगे. इसके बाद उन्होंने अर्जुन से कहा कि एक तरफ मेरी नारायणी सेना है और दूसरी तरफ मैं बगैर अस्त्र-शस्त्र के स्वयं रहूंगा. बोलो तुम्हें क्या चाहिए. तब अर्जुन ने पूरे विश्व पालनकर्ता और रक्षा करने वाले भगवान श्री कृष्ण को चुना, जबकि दुर्योधन के हिस्से में नारायणी सेना आई.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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