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जानें दिसंबर महीने के व्रत और त्यौहार

Shantanu Roy
1 Dec 2021 2:34 PM GMT
जानें दिसंबर महीने के व्रत और त्यौहार
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साल 2021 का आखिरी यानी दिसंबर का महीना शुरू होने वाला है. दिसंबर (December 2021 Festival) का महीना बहुत ही खास रहने वाला है. इस महीने को मार्गशीर्ष का महीना कहा जाता है.

जनता से रिश्ता। साल 2021 का आखिरी यानी दिसंबर का महीना शुरू होने वाला है. दिसंबर (December 2021 Festival) का महीना बहुत ही खास रहने वाला है. इस महीने को मार्गशीर्ष का महीना कहा जाता है. दिसंबर में कई व्रत त्योहार आएंगे. दिसंबर (December 2021 Vrat And Tyohar) महीने में अमावस्या, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि ,गीता जयंती, मोक्षदा एकादशी और पूर्णिमा जैसे प्रमुख व्रत त्योहार रखें जाएंगे. आज हम यहां दिसंबर 2021 में सभी व्रत व त्योहारों की लिस्ट लेकर आए हैं.

दिसंबर के व्रत और त्योहार
2 दिसंबर- मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत- प्रदोष व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन रखा जाता है. मासिक शिवरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Vrat) हर माह की चतुर्दशी को रखा जाता है.
4 दिसंबर- मार्गशीर्ष अमावस्या, सूर्य ग्रहण- साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2021) 4 दिसंबर 2021 को लगने वाला है. हालांकि यह सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2021 Date) भारत में दिखाई नहीं देगा जिस कारण इसका सूतक काल (Surya Grahan 2021 Sutak Kaal) भी मान्य नहीं होगा. इसके अलावा इस दिन स्‍नान-दान श्राद्ध अमावस्‍या भी है.
7 दिसंबर- विनायकी चतुर्थी व्रत- प्रत्‍येक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी व्रत कहते हैं. इस द‍िन व‍िध‍ि-व‍िधान से गणपत‍ि बप्‍पा की पूजा की जाती है.
8 दिसंबर- नाग दिवाली, विवाह पंचमी, श्रीराम विवाहोत्सव- मान्‍यता है क‍ि इसी द‍िन भगवान श्रीराम के साथ माता जानकी का व‍िवाह संपन्‍न हुआ था. यही वजह है क‍ि इस द‍िन को विवाह पंचमी और श्रीराम व‍िवाहोत्‍सव के नाम से जाना जाता है. इसी द‍िन नाग द‍िवाली भी है. इस मौके पर नागों के पूजन का खास महत्व होता है.
9 दिसंबर- बैंगन छठ, चंपाषष्ठी- चंपा षष्ठी मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है. यह त्योहार भगवान शिव के अवतार खंडोबा या खंडेराव को समर्पित है.
11 दिसंबर- मासिक दु्र्गाष्टमी- हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता है. इस दिन श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का व्रत करते हैं.
14 दिसंबर- मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती- मोक्षदा एकादशी इस बार 14 दिसंबर को है. यह मोक्षदायिनी एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी के रूप में मनाई जाती है.
15 दिसंबर- मत्स्य द्वादशी- हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मत्स्य द्वादशी मनाई जाएगी. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध कर वेदो की रक्षा की थी. इस कारण इस तिथि पर भगवान विष्णु जी के मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है.
16 दिसंबर- प्रदोष व्रत , धनु संक्रांति, सूर्य का धनु राशि में गोचर- प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है और इस व्रत को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है.
18 दिसंबर- दत्तात्रेय जयंती- दत्तात्रेय जयन्ती भगवान दत्तात्रेय के जन्मदिवस के रूप में मनायी जाती है. भगवान दत्तात्रेय एक समधर्मी देवता है और उन्हें त्रिमूर्ति अथार्त ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का अवतार माना जाता है.
19 दिसंबर- मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत- इस दिन व्रत रखने का भी विधान है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करने को अति उत्तम माना गया है. यदि ये संभव न हो तो इस दिन स्नान करने से पूर्व जल में गंगाजल की कुछ बूंदे डाल कर भी स्नान कर सकते हैं.
22 दिसंबर- संकष्टी चतुर्थी- इस दिन भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन गणेश जी की विधि-विधान से पूजा की जाए तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सकंष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है.
25 दिसंबर- क्रिसमस डे- क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है. यह 25 दिसंबर को पड़ता है.
26 दिसंबर- भानु सप्तमी- हिंदू धर्म में भानु सप्तमी का बहुत महत्व है. ज्योतिष के अनुसार, इस तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है. रविवार के दिन पड़ने वाली सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी कहते हैं. इस दिन भगवान सूर्य देव का व्रत और उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
30 दिसंबर- सफला एकादशी, शुक्र ग्रह का वक्री अवस्था में गोचर- पौष मास की कृष्ण पक्ष एकादशी के दिन सफला एकादशी मनाई जाती है. सफला एकादशी पर भगवान नारायण की पूजा की जाती है.

31 दिसंबर – प्रदोष व्रत- दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है और इस व्रत को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है.


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