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सावन की विनायक चतुर्थी व्रत (Sawan Vinayaka Chaturthi) 01 अगस्त दिन सोमवार को है. इस दिन सावन का तीसरा सोमवार व्रत (Sawan Somvar Vrat) भी है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन की विनायक चतुर्थी व्रत (Sawan Vinayaka Chaturthi) 01 अगस्त दिन सोमवार को है. इस दिन सावन का तीसरा सोमवार व्रत (Sawan Somvar Vrat) भी है. इस बार की विनायक चतुर्थी व्रत रवि योग में है. विनायक चतुर्थी व्रत के दिन विघ्नहर्ता श्री गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं. गणेश जी की जिस पर कृपा होती है, उसके सारे कार्य बिना की विघ्न और बाधा के पूरे होते हैं. उसके जीवन में शुभता और सौभाग्य बढ़ता है. गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, वे अपने भक्तों के सभी संकटों को हर लेते हैं, उन्हें दूर कर देते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं सावन के विनायक चतुर्थी की व्रत और पूजा विधि के बारे में.
विनायक चतुर्थी मुहूर्त 2022
विनायक चतुर्थी तिथि का शुभारंभ: 01 अगस्त, प्रात: 04:18 बजे से
विनायक चतुर्थी तिथि का समापन: 02 अगस्त, प्रात: 05:13 बजे पर
रवि योग: 01 अगस्त, प्रात: 05:42 मिनट बजे से शाम 04:06 बजे तक
गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 11:06 बजे से दोपहर 01: 48 बजे तक
सावन विनायक चतुर्थी व्रत और पूजा विधि
सावन के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से एक दिन पूर्व यानि 31 जुलाई से तामसिक पदार्थों का सेवन बंद कर देना चाहिए. अगले दिन सुबह यानि 01 अगस्त को विनायक चतुर्थी के दिन प्रातःकाल में स्नान के बाद पीले या लाल रंग के कपड़े पहनें. उसके पश्चात हाथ में जल, फूल और अक्षत् लेकर विनायक चतुर्थी व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
इसके पश्चात पूजा के शुभ मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना करें और उनकी विधिपूर्वक पूजा करें. गणेश जी को पीले या लाल फूल अर्पित करें. चंदन, पान का पत्ता, अक्षत्, सुपारी, केला, फल, फूल, कुमकुम, धूप, दीप, गंध, दूर्वा की 11 गांठें आदि चढ़ाएं. इसके बाद गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. फिर गणेश चालीसा और विनायक चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें.
इसके बाद घी के दीपक से गणेश जी की आरती विधिपूर्वक करें. उसके पश्चात प्रसाद वितरण करें. विनायक चतुर्थी पूजा के दिन आपको किसी गरीब ब्राह्मण को फल, वस्त्र, अन्न का दान करना चाहिए और दक्षिणा देकर आशीर्वाद भी ग्रहण करना चाहिए.
आज पूरे दिन चंद्रमा को न देखें. गणेश जी की भक्ति और भजन में समय व्यतीत करें. अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. कई स्थानों पर व्रत वाले दिन रात्रि के समय में पारण होता है. आपके यहां पारण का जो विधान है, उसका पालन करें.
Tara Tandi
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