धर्म-अध्यात्म

जानिये मकर संक्रान्ति की सही तिथि और महत्त्व

Teja
13 Jan 2022 1:07 PM GMT
जानिये  मकर संक्रान्ति की सही तिथि और महत्त्व
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मकर संक्रान्ति का त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | मकर संक्रान्ति का त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. लेकिन इस बार सूर्य मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की दोपहर में करेगा, ऐसे में लोगों को संशय है कि इस त्योहार को 14 को मनाना ठीक होगा या 15 जनवरी को. अगर आप भी इस उलझन में हैं तो यहां जानिए इसका जवाब.

जानें मकर संक्रान्ति की सही तिथि
मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) का त्योहार ​हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद मकर संक्रान्ति मनाई जाती है और खरमास का महीना समाप्त हो जाता है. इसी के साथ सभी शुभ काम भी शुरू हो जाते हैं. लेकिन इस बार सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी, शुक्रवार को दोपहर 02:40 बजे प्रवेश करेंगे. चूंकि मकर संक्रान्ति पर नदी स्नान, दान और पुण्य का विशेष महत्व है, ऐसे में दोपहर में सूर्य के मकर राशि (Sun Transit in Capricorn) में प्रवेश करने से लोग इस संशय में हैं, कि वे इस त्योहार को किस दिन मनाएं. कुछ लोग इसे 14 जनवरी को मनाने की बात कर रहे हैं तो कुछ 15 जनवरी का दिन दान के लिए शुभ मान रहे हैं. अगर आपको भी संक्रान्ति की तिथि को लेकर कोई कन्फ्यूजन है, तो यहां जान लीजिए सही तारीख (Real Date of Makar Sankranti 2022) के बारे में.
क्या कहते हैं ज्योतिष विशेषज्ञ
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो मकर संक्रान्ति को मनाना 14 जनवरी को ही श्रेष्ठ है क्योंकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश सूर्यास्त से पहले हो रहा है. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद के समय को पुण्यकाल के लिए श्रेष्ठ माना गया है. ऐसे में 14 जनवरी शुक्रवार को बिना किसी संशय के मकर संक्रान्ति का त्योहार मनाएं और नदी स्नान, दान और पुण्य करें.
भगवान विष्णु की जीत के उपलक्ष्य में मनाई जाती है संक्रान्ति
कहा जाता है कि मकर संक्रान्ति का त्योहार महाभारत के समय से मनाया जा रहा है. वहीं कुछ कथाओं में इसे भगवान विष्णु की जीत का दिन बताया गया है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर असुरों का संहार किया था और देवताओं को उनके आतंक से मुक्त कराया था. मकर संक्रान्ति के दिन से ही उत्तरायण शुरू हो जाता है और दिन बड़े और रात छोटी होने लगती है. शास्त्रों में उत्तरायण को देवताओं का समय कहा जाता है.
सूर्य पूजा का विशेष महत्व
संक्रान्ति के दिन सूर्य देव के पूजन का विशेष महत्व है. सूर्य देव को कलयुग का साक्षात देवता माना गया है. कहा जाता है कि संक्रान्ति के​ दिन सूर्य पूजा से सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति के पद और सम्मान में वृद्धि होती है, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा पूजन करने वाले को सूर्य के साथ शनि संबन्धी तमाम कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है. संक्रान्ति के दिन नदी स्नान और दान पुण्य का भी विशेष महत्व बताया गया है. भारत में मकर संक्रान्ति को पोंगल, उत्तरायण, खिचड़ी और सिर्फ संक्रान्ति जैसे नामों से जाना जाता है.


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