धर्म-अध्यात्म

जानिए धर्मसूत्र तथा धर्मशास्त्र में क्या अन्तर है और इनसे जीवन में क्या बदलाव आता है

Usha dhiwar
26 Jun 2024 9:46 AM GMT
जानिए धर्मसूत्र तथा धर्मशास्त्र में क्या अन्तर है और इनसे जीवन में क्या बदलाव आता है
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धर्मसूत्र तथा धर्मशास्त्र में अन्तर:- Difference between Dharmasutra and Dharmashastra: -
(1) अधिकतर धर्मसूत्र या तो किसी सूत्रचरण से सम्बद्ध कल्प के भाग है या गृह्यसूत्रों से सम्बन्ध रखते हैं, जबकि धर्मशास्त्र किसी भी सूत्रचरण से सम्बन्धित नहीं हैं।
(2) धर्मशास्त्र पद्यमय हैं, जबकि धर्मसूत्र गद्य या गद्य-पद्य में होते हैं।
(3) धर्मसूत्रों में अपनी शाखा के वेद अथवा चरण के प्रति आदर विशेष रहता है
Or there is special respect for the feet,
, जबकि धर्मशास्त्रों में ऐसा नहीं हैWhereas this is not the case in the scriptures.
(4) धर्मसूत्रों में विषय-विवेचन का कोई निश्चित क्रम नहीं रहता, जबकि धर्मशास्त्रों में सभी विषयों का आचार, व्यवहार तथा प्रायश्चित्त इन तीन भागों में विभाजन करके क्रमबद्ध तथा व्यवस्थित विवेचन उपलब्ध होता है।
मैक्समूलर के अनुसार धर्मशास्त्र धर्मसूत्रों के रूपान्तर मात्र हैं। उनका स्वतन्त्र अस्तित्व नहीं है
They do not have independent existence
तदनुसार मनुस्मृति मैत्रायणी शाखा के किसी प्राचीन मानव धर्मसूत्र का नवीन संस्करण मात्र है।
धर्मसूत्र तथा गृह्यसूत्र Dharmasutras and Gruhyasutras
गृह्यसूत्र तथा धर्मसूत्र दोनों ही स्मार्त्त हैं। कभी-कभी धर्मसूत्र अपने कल्प के गृह्यसूत्रों का अनुसरण भी करते हैं तथा गृह्यसूत्रों के ही विषय का प्रतिपादन करते हैं। तथापि उनकी सत्ता एवं प्रामाणिकता स्वतंत्र है। इस समय चार ही धर्मसूत्र ऐसे उपलब्ध हैं जो अपने गृह्यसूत्रों का अनुसरण करते हैं। ये हैं – बौधायन, आपस्तम्ब, हिरण्यकेशी तथा वैखानस गृह्यसूत्र। अन्य गृह्यसूत्रों का अनुसरण करने वाले धर्मसूत्र इस समय उपलब्ध नहीं हैं।
यह भी माना जाता है कि अपने-अपने कल्प के गृह्यसूत्र तथा धर्मसूत्र का कर्त्ता एक ही व्यक्ति होता था The creator of Dharmasutra was one person only.। 'यह तो सिद्ध है कि एक ही कल्प के गृह्यसूत्र तथा धर्मसूत्र का कर्त्ता कए ही व्यक्ति था, किन्तु इस विषय में मतभेद पाया जाता है कि एक ही शाखा के सभी गृह्यसूत्रों के अनुरूप धर्मसूत्रों की भी रचना की गयी थी या केवल कुछ शाखाओं के कल्पों में ही यह विशेषता रखी गयी थी।' कुन्दल लाला शर्मा भी धर्म,
श्रौत तथा गृह्यसूत्र इन तीनों का कर्त्ता एक ही व्यक्ति को मानते हुए लिखते हैं- 'यह सिद्धान्त स्थिर समझना चाहिए कि एक कल्प के श्रौत, गृह्य तथा धर्मसूत्रों के कर्त्ता एक ही व्यक्ति थे।' यदि इनके कर्त्ता एक ही व्यक्ति थे तो ये ग्रन्थ समकालिक रहे होंगे।
एक ही कर्त्ता ने कौन-सा सूत्रग्रन्थ पहले रचा तथा कौन-सा बाद में, इससे इनके पौर्वापर्य पर विशेष अन्तर नहीं पड़ता। डॉ॰ उमेश चन्द्र पाण्डेय ने धर्मसूत्रों के टीकाकारों के आधार पर ऐसा संकेत भी दिया है कि धर्मसूत्र, श्रौत तथा गृह्यसूत्रों से पूर्व विद्यमान थे,
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