धर्म-अध्यात्म

जानिए महेश नवमी की तिथि, महत्व और इसकी पूजा विधि...

Tara Tandi
4 Jun 2022 6:30 AM GMT
Know the date, significance and method of worship of Mahesh Navami...
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हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी मनाई जाती है। इस साल महेश नवमी 09 जून दिन गुरुवार को है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी मनाई जाती है। इस साल महेश नवमी 09 जून दिन गुरुवार को है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। शिवजी और माता पार्वती की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी। ऐसे में इस दिन महेश्वरी समाज के द्वारा महेश जयंति बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है। आइए जानते हैं महेश नवमी की तिथि, महत्व और इसकी पूजा विधि...

महेश नवमी 2022 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 08 जून को बुधवार के दिन सुबह 08 बजकर 30 मिनट से हो रही है। ये तिथि अगले दिन 09 जून को गुरुवार के सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक मान्य है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार महेश नवमी 09 जून को मनाई जाएगी।
महेश नवमी 2022 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 08 जून को बुधवार के दिन सुबह 08 बजकर 30 मिनट से हो रही है। ये तिथि अगले दिन 09 जून को गुरुवार के सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक मान्य है। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार महेश नवमी 09 जून को मनाई जाएगी।
महेश जयंती 2022 पूजा मुहूर्त
इस वर्ष महेश जयंती रवि योग में है और 09 जून को पूरे दिन ये योग है। ऐसे में इस दिन आप महेश जयंती की पूजा आप प्रात: काल से कर सकते हैं।
महेश नवमी की पूजा विधि
महेश जयंती को सुबह स्नान आदि से निवृत होकर आप भगवान शिव की पूजा करें। इस दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। उन्हें गंगाजल, पुष्प, बेल पत्र आदि चढ़ाया जाता है। साथ ही इस दिन शिव लिंग की विशेष की जाती है।
माहेश्वरी समाज से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे। शिकार के दौरान वे ऋषियों के शाप से ग्रसित हुए। तब इस दिन भगवान शिव ने उन्हें शाप से मुक्त कर उनके पूर्वजों की रक्षा की और उन्हें हिंसा छोड़कर अहिंसा का मार्गदर्शन कराया था।
महादेव ने अपनी कृपा से इस समाज को अपना नाम भी दिया। तभी से ये समुदाय 'माहेश्वरी' नाम से प्रसिद्ध हुआ। कहा जाता है कि भगवान शिव की आज्ञा से ही माहेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य समाज को अपनाया।
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