धर्म-अध्यात्म

जानिए वट सावित्री व्रत की तिथि ,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Kajal Dubey
17 April 2022 11:37 AM GMT
जानिए वट सावित्री व्रत की तिथि ,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले व्रतों में वट अमावस्या व्रत को बहुत प्रभावी और उत्तम व्रतों में से एक माना जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले व्रतों में वट अमावस्या व्रत को बहुत प्रभावी और उत्तम व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत को करके सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सभी प्रकार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष के पास जाकर धूप, दीप नैवेद्य आदि से उसकी पूजा करती हैं। तथा रोली और अक्षत चढ़ाकर वट वृक्ष पर कलावा बांधती हैं। साथ ही हाथ जोड़कर वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। जिससे उनके पति के जीवन में आने वाली अदृष्य बाधाएं दूर होती हैं। तथा सुख समृद्धि के साथ-साथ लंबी उम्र की प्राप्ति होती है।

वट सावित्री व्रत तिथि
30 मई 2022, दिन सोमवार
अमावस्या तिथि प्रारंभ
29 मई दोपहर 02:55 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त
30 मई शाम 05:00 बजे
वट सावित्री व्रत पूजा विधि
कहा जाता है कि, वट वृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पतिव्रत धर्म के प्रभाव से मृत पड़े सत्यवान को पुनर्जीवित किया था। तभी से इस व्रत को वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाने लगा। इसमें वट वृक्ष की श्रृद्धा भक्ति के साथ पूजा की जाती है। महिलाएं अपने अटल सौभाग्य एवं कल्याण के लिए इस व्रत को करती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं श्रृद्धा के साथ ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या तिथि अर्थात तीन दिनों तक उपवास रखती हैं।
अमावस्या तिथि के दिन बांस की टोकरी में सप्त धान्य के ऊपर ब्रह्मा और वट सावित्री और दूसरी टोकरी में सत्यवान एवं सावित्री की प्रतिमा स्थापित करके वट के समीप जाकर पूजन करती हैं। साथ ही इस दिन यम का भी पूजन करती हैं और वट की परिक्रमा करते समय 108 बार वट वृक्ष में कलावा लपेटा जाता है और मंत्र का जाप करते हुए सावित्री को अर्घ्य दिया जाता है।
इस दिन चने पर रुपया रखकर वायने के रुप में अपनी सास को दिया जाता है। इसके बाद सास के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। वहीं सौभाग्य पिटारी और पूजा सामग्री किसी योग्य साधक को दी जाती है। वहीं कुछ महिलाएं अमावस्या के दिन ही केवल व्रत रखती हैं। इस व्रत में सत्यवान और सावित्री की कथा का श्रवण किया जाता है। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियों का भी पूजन होता है।


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