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सनातन धर्म में ग्रहण काल को बेहद ही महत्वपूर्ण बताया गया है। इसे ईश्वर पर संकट का समय माना जाता है। इस बार साल का पहला सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि पर लगने जा रहा है। अभी वैशाख का महीना चल रहा है और इस महीने पड़ने वाली अमावस्या को वैशाख अमावस्या के नाम से जाना जा रहा है जो कि 20 अप्रैल को पड़ रही है और इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल के वक्त राहु केतु के नकारात्मक प्रभाव अधिक होते है। यही कारण है कि इस दौरान धार्मिक अनुष्ठाव नए व शुभ कार्यों को करना वर्जित बताया गया है। ग्रहण काल को लेकर धार्मिक और ज्योतिष में कई नियम बताए गए है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा सूर्य ग्रहण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते है।
धार्मिक और ज्योतिष अनुसार ग्रहण काल से पहले के समय को सूतक काल के नाम से जाना जाता है। अभी 20 अप्रैल को सूर्य ग्रहण लगने वाला है ऐसे में इसका सूतक काल अधिक और चंद्र ग्रहण का सूतक काल कम होता है। सूर्य ग्रहण के समय सूतक चार प्रहर पहले से ही आरंभ हो जाते है। जिस दौरान किसी भी तरह के शुभ व नए कार्य को आरंभ नहीं किया जा सकता है।
इस तरह सूर्य ग्रहण का सूतक काल कुल 12 घंटे का होता है। लेकिन अमावस्या पर लगने वाले सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। जिस कारण इसका सूतक काल भी नहीं मान्य होगा। ऐसे में इस बार लगने वाले सूर्य ग्रहण के दौरान किसी भी तरह की कोई पाबंदी नहीं होगी और इस दिन को भी लोग सामान्य दिनों की तरह ही व्यतीत करेंगे। क्योंकि इस बार का ग्रहण मान्य नहीं है।

Deepa Sahu
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