धर्म-अध्यात्म

माघी पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि, जाने

Subhi
20 Jan 2022 2:15 AM GMT
माघी पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि, जाने
x
हिंदी पंचांग के अनुसार, 16 फरवरी को माघी पूर्णिमा है। सनातन धर्म में कार्तिक और माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। सामान्यतः सभी पूर्णिमा तिथियों पर गंगा समेत सभी पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है।

हिंदी पंचांग के अनुसार, 16 फरवरी को माघी पूर्णिमा है। सनातन धर्म में कार्तिक और माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। सामान्यतः सभी पूर्णिमा तिथियों पर गंगा समेत सभी पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। वहीं, माघ पूर्णिमा के दिन शाही स्नान किया जाता है। इसके लिए नियमित अंतराल पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। यह मेला पूरे एक महीने तक चलता है। इस दौरान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, अचला सप्तमी और माघ पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। मौनी अमावस्या और माघी पूर्णिमा के दिन गंगा तट पर उत्स्व जैसा माहौल रहता है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान का विधान है। आइए, माघी पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि के बारे में सबकुछ जानते हैं-

माघी पूर्णिमा की तिथि

माघ पूर्णिमा बुधवार 16 फरवरी, 2022 को है। माघ पूर्णिमा तिथि 16 फरवरी को सुबह 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 16 फरवरी को रात में 10 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। साधक प्रातःकाल गंगा समेत पवित्र नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाकर तिलांजलि कर सकते हैं। साथ ही जलधारा में तिल प्रवाहित कर सकते हैं।

पूर्णिमा पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म बेला में उठें और घर की साफ़-सफाई करें। कोरोना वायरस महामारी के चलते पवित्र नदियों में स्नान करना संभव नहीं है। ऐसे में घर पर ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान कर सर्वप्रथम भगवान भास्कर को ॐ नमो नारायणाय मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इसके बाद तिलांजलि दें। इसके लिए सूर्य के सन्मुख खड़े होकर जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें। फिर ठाकुर और नारायण जी की पूजा करें। भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें। अंत में आरती-प्रार्थना कर पूजा संपन्न करें। इसके बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।



Next Story