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Shani Vakri 2023: आज बात करेंगे शनि वक्री के बारे में। शनि वक्री होने जा रहे हैं 17 जून से। 17 जून से 4 नवंबर तक लगभग 140 दिनों के लिए शनि वक्र अवस्था में रहेंगे। कई लोग इस बात को लेकर काफी कंफ्यूज रहते हैं कि वक्री अवस्था क्या होती है ? शनि हर साल वक्री होते हैं। सूर्य और चंद्रमा वक्री नहीं हो सकते। इन्हीं दो ग्रहों के हिसाब से कैलेंडर बनते हैं। राहु और केतु हमेशा वक्री रहते हैं। बुध साल के 90 दिन के आसपास वक्री रहते हैं। वक्र अवस्था सामान्य तौर पर जून के महीने से ही शुरू होती है। जब सूर्य ग्रहण लग जाता है ग्रहों की पोजीशन ऐसी होती है वो सूर्य से दूर चले जाते हैं। कोई भी प्लेनेट जो वक्री है वो अपना फल करने की चाहे वो बढ़िया है या बुरा उसकी चेष्टा बढ़ जाती है। तो निश्चित तौर पर आपको इसके फल देखने को मिलते हैं। तो आइए जानते हैं इस वक्री से मिथुन राशि वालों के जीवन में क्या बदलाव आएगा ?
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Effect of Saturn retrograde on Libra शनि वक्री का तुला राशि पर प्रभाव: तुला राशि के लिए शनि योगकारक ग्रह है। केतु अभी भी तुला राशि वालों के सिर के ऊपर बैठे हैं। 30 अक्टूबर को केतु का गोचर कन्या राशि में हो जाएगा। ये हमेशा वक्री रहते हैं। यदि आपकी कुंडली में शनि की महादशा चल रही है तो आपको चौथे और पांचवें घर के बहुत बढ़िया फल करेंगे। चौथा भाव आपका सुख स्थान, मां का भाव है। इस अवधि के बीच आप घर या गाड़ी खरीदने का प्लान बना सकते हैं। यदि मां की सेहत को लेकर चिंता चल रही थी, उसमें भी राहत मिल सकती है।
शनि की एक राशि पंचम स्थान में होती है। ये त्रिकोण का भाव है, ये कुम्भ की राशि होती है। पंचम स्थान के फल भी मिलेंगे। पंचम स्थान से संतान और एजुकेशन देखी जाती है। शनि पंचम स्थान के बहुत बढ़िया फल देंगे।