धर्म-अध्यात्म

जानिए संकष्टी चतुर्थी की तिथि शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि

Tara Tandi
13 Jun 2022 7:24 AM GMT
जानिए संकष्टी चतुर्थी की तिथि शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि
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प्रत्येक माह की चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रत्येक माह की चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी कृष्णपिंगल चतुर्थी कहलाती है। इस बार कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी 17 जून, शुक्रवार को पड़ने वाली है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और उनके निमित्त व्रत रखने का विधान है। इसके अलावा इस दिन भगवान गणेश की पूजा के अतिरिक्त चंद्रमा की भी पूजा होती है। साथ ही इस दिन चंद्रदेव का दर्शन अनिवार्य माना गया है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत के बारे में हिन्दू धर्म में प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि को व्रत रखते है और भगवान गणेशजी की पूजा करते है। हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं. इस प्रकार से एक माह में दो चतुर्थी व्रत होते हैं। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत रखते हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा की पूजा एवं उनका दर्शन करते हैं। चंद्रदर्शन के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधूरा माना जाता है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की तिथि शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि
संकष्टी चतुर्थी व्रत: 17 जून 2022 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 जून 2022 प्रातः 6:11 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 जून 2022 पूर्वाह्न 2:59 बजे
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय समय
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात्रि 10:03 मिनट पर होगा
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण किया जाता है।
इसके बाद भगवान गणेश की पूजा की जीती है। पूजन के दौरान भगवान गणेशजी को तिल, गुड़, लड्डू, दूर्वा और चंदन चढ़ाएं।
इसके बाद भगवान गणेश की स्तुति और मंत्रों का जाप किया जाता है।
इस दिन जो लोग व्रत करते हैं, वह दिन भर केवल फलाहार ग्रहण करते हैं।
शाम के समय चंद्रमा निकलने से पहले गणेश जी की पूजा करें, व्रत कथा कहें व सुनें।
इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर गणेश जी का भोग निकालें और व्रत खोलें।
गणेश स्तुति मंत्र
ॐ श्री गणेशाय नम:।
ॐ गं गणपतये नम:।
ॐ वक्रतुण्डाय नम:।
ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।
ॐ विघ्नेश्वराय नम:।
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।
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