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भादो माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली तीज को कजरी तीज कहा जाता है। कजरी तीज को कजली तीज या बड़ी तीज नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि के लिए सुहागन महिलाएं यह व्रत करती हैं और लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत करती हैं। कजली तीज के दिन घर में झूला डाला जाता है और औरतें इसमें झूला झूलती हैं। इस दिन महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ इकट्ठा होती हैं पूरा दिन नाच गाना करती हैं। इस साल 14 अगस्त, 2022, रविवार को कजरी तीज है।
कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 14, 2022 को 12:53 ए एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 14, 2022 को 10:35 पी एम बजे
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
स्नान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाएं या फिर बाजार से लाई मूर्ति का पूजा में उपयोग करें।
व्रती महिलाएं माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति को एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
शिव-गौरी का विधि विधान से पूजन करें।
माता गौरी को सुहाग की 16 समाग्री अर्पित करें।
भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें।
धूप और दीप आदि जलाकर आरती करें और शिव-गौरी की कथा सुनें।
गाय की होती है पूजा
इस दिन गेहूं, चना और चावल को सत्तू में मिलाकर पकवान बनाएं जाते है। व्रत शाम को सूरज ढलने के बाद छोड़ते है। इस दिन विशेष तौर पर गाय की पूजा की जाती है। आटे की रोटियां बनाकर उस पर गुड चना रखकर गाय को खिलाया जाता है। इसके बाद व्रत तोड़ा जाता है।
इस बात का रखें विशेष ध्यान-
कजरी तीज का व्रत चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है। कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है।
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