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हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन देवी आराधना व पूजा के महापर्व नवरात्रि को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि देवी साधना का सबसे उत्तम दिन माना जाता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि का त्योहार साल में कुल चार बार मनाया जाता हैं जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती हैं तो वही दो प्रत्यक्ष नवरात्रि मनाई जाती हैं चैत्र और शारदीय नवरात्रि का उत्सव धूमधाम से देशभर में मनाया जाता हैं तो वही गुप्त नवरात्रि का पर्व गुप्त साधना के लिए विशेष माना जाता हैं।
पंचांग के अनुसार अभी आषाढ़ चल रहा है और इस माह में पड़ने वाली नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता हैं जिसमें दस महाविद्याओं की आराधना व पूजा की जाती हैं ये नवरात्रि तंत्र मंत्र और टोने टोटके के लिए भी खास मानी जाती हैं जिसका आरंभ इस बार 19 जून से हो रहा हैं तो वही समापन 28 जून को हो जाएगा। ऐसे में हम आपको गुप्त नवरात्रि के आरंभ से पहले इसकी पूजन विधि और मुहूर्त के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
शुभ मुहूर्त—
धार्मिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 18 जून की सुबह 10 बजकर 6 मिनट पर हो रहा हैं और 19 जून की सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। ऐसे में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ 19 जून से हो रहा हैं। इसी दिन कलश स्थापना कि जाएगी। जिसके लिए शुभ मुहूर्त 19 जून की सुबह 5 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 27 मिनट तक का समय उत्तम रहेगा। वही कलश स्थापना का दूसरा मुहूर्त 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक का रहेगा। इस मुहूर्त में कलश स्थापना करना उत्तम रहेगा।
पूजन विधि—
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा होती हैं इन नौ दिनो तक देवी मां की पूजा करने से जीवन में अपार सुख समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके शुभ मुहूर्त में गंगाजल से पूजन स्थल को पवित्र करें फिर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति भी जलाएं। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरी श्रद्धा भाव से करें साथ ही देवी के मंत्रों का जाप करें। माता को पूजन सामग्री अर्पित करें फिर उनकी आरती करते हुए भूल चूक के लिए क्षमा मांगे। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में देवी आराधना करने से जीवन में आने वाली हर परेशानी दूर हो जाती हैं।
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Apurva Srivastav
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