धर्म-अध्यात्म

जानें वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त,महत्व और किन वस्तुओं का उपयोग है वर्जित

Kajal Dubey
26 April 2022 3:59 AM GMT
जानें वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त,महत्व और किन वस्तुओं का उपयोग है वर्जित
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वैशाख कृष्ण एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैशाख कृष्ण एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है, इस साल यह एकादशी आज 26 अप्रैल 2022 दिन मंगलवार को है. प्रत्येक एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है. इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. प्रत्येक वर्ष कुल 24 एकादशी व्रत होते हैं, उनमें से हर दो एकादशी व्रत एक माह में आते हैं. लेकिन जिस वर्ष मलमास होता है, उस साल 26 एकादशी व्रत होते हैं. इन व्रतों में से एक व्रत है वरुथिनी एकादशी. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं वरुथिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त, महत्व और इसमें किन वस्तुओं का उपयोग नहीं करते हैं.

वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के आधार पर इस वर्ष वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि का शुभारंभ आज 01:37 एएम पर हुआ है. यह तिथि कल 27 अप्रैल को 12:47 एएम पर समाप्त होगी. आज प्रात:काल से ब्रह्म योग बना हुआ है, जो शाम 07:06 बजे तक रहेगा. त्रिपुष्कर योग भी 27 अप्रैल को 12:47 एएम से प्रात: 05:44 एएम तक है.
वरुथिनी एकादशी में त्याग करने वाली 15 चीजें
1. मसूर की दाल
2. कांसे के बर्तन में भोजन
3. मांस
4. शहद
5. चने का शाक
6. कोदो का शाक
7. स्त्री प्रसंग
8. दूसरे के बारे में बुरा सोचना
9. दूसरी बार भोजन
10. पान खाना
11. जुआ खेलना
12. दूसरे की निंदा और चुगली
13. क्रोध एवं झूठ
14. नमक, तेल आर अन्न
15. पापी मनुष्यों का साथ
वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
1. यह व्रत सब पापों का अंत करने वाली, सौभाग्य देने वाली एवं मृत्यु के बाद मोक्ष देने वाली है. जैसा कि भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से कहा था.

2. इस व्रत को करने से दस हजार वर्ष तक तप करने के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है.

3. इस व्रत को करके मनुष्य पृथ्वी लोक में सुख भोगता है और विष्णु जी की कृपा से परलोक में स्वर्ग प्राप्त करता है.

4. वरुथिनी एकादशी व्रत करने से कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के दौरान एक मन सोना दान करने के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है.

5. वरुथिनी एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को कन्यादान और अन्नदान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.

6. इस व्रत के महात्म्य को पढ़ने से 1000 गौ के दान के बराबर फल मिलता है.

7. वरुथिनी एकादशी व्रत का फल गंगा स्नान के पुण्य फल से भी अधिक माना गया है.


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