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गणेश विसर्जन:हिंदू पुराणों में वर्णित भगवान प्रथम पूजनीय गणेश की महिमा के दौरान उन्हें सबसे पहले पूवहने का दर्जा दिया गया हैं। दरअसल बप्पा का जन्मदिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुभारम्भ होने के साथ भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव का ये पर्व बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। साथ ही अभी भी पूरे देशभर में अभी तक जनता में हर्षोउल्लास का माहौल देखा जा रहा हैं। 10 दिनों तक मनाया जाने वाला ये गणेश जन्मोत्सव भक्तों द्वारा पूरे 10 तक चलता हैं, एवं अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को वापस उनके घर उनके माता पिता के पास भेज दिया जाता हैं।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि को चतुर्दशी तिथि के नाम से विख्यात है और इसी दिन निरंतर दस दिनों तक चले आ रहे गणेशोत्सव का समापन हो जाता है। 10 दिनों तक सभी विधि विधान से बप्पा का कीर्तन पूजन करने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन इस मनोकामना के साथ उनसे विदा ली जाती है कि अगले वर्ष वह फिर उनके घर प्रस्थान करेंगे।
इसी के साथ हिन्दू ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चौदस तिथि 27 सितंबर को रात 10.18 पर प्रारम्भ होगी और अगले दिन यानी 28 सितंबर को शाम 06.49 मिनट तक रहेगी। वहीं उदयातिथि के आधार पर अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर को बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाएगी। गणेश विसर्जन के संग संग अनंत चतुर्दशी का दिन भगवान श्री हरि विष्णु को भी समर्पित हैं। ऐसे में इस दिन पूजा का विशेष फल मिलता हैं। दरअसल पूजा का शुभ मुहूर्त 12 घंटे 37 मिनट का है जो सवेरे 06 बजकर 12 मिनट पर प्रारम्भ होगा और सायंकाल 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
इसी के साथ आज हम आपको गणपति विसर्जन के लिए तीन शुभ मुहूर्त बताने जा रहे हैं। पहला सवेरे सवेरे 06 बजकर 11 मिनट से 07 बजकर 0 मिनट तक, दूसरा सुबह 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 03 बजकर 10 मिनट तक और तीसरा संध्याकाल 04 बजकर 41 मिनट से रात 09 बजकर 10 मिनट तक का है।
जैसा की आप सभी जानते हैं कि अनंत चतुर्दशी का हिंदू सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व माना जाता है। साथ ही ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने 14 लोकों को उत्पन्न किया था। इसी के चलते इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना करने का विशेष महत्त्व बताया गया हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी अनंत चतुर्दशी के दिन सच्चे ह्रदय और आस्था के साथ भगवान का ध्यान कर उपवास रखता है, उसे समस्त समस्याओं से निजात मिलती हैं और उस जातक की तमाम गंभीर बीमारियों का सर्वनाश होता। इसके अतिरिक्त फाइनेंशियल दिक्कतों से निवारण करने के लिए और घरेलू आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए भी अनंत चतुर्दशी का व्रत बेहद शुभ फलदायक माना जाता है।
अनंत चतुर्दशी की सही पूजा विधि
चलिए जानते हैं प्रातकाल ब्रम्ह मुहूर्त में शीघ्र उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने पूजा स्थल सहित पूरे घर में गंगाजल का आचमन करें। इससे बाद मंदिर गृह पर एक आसान बिछाकर उस पर पीला वस्त्र बिछाएं और फिर भगवान श्री नारायण की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें। इसके बाद उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य, इत्र और चंदन चढ़ाकर पूजा करें और अंत में आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
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