धर्म-अध्यात्म

जानिए बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Tara Tandi
7 Feb 2021 9:02 AM GMT
जानिए बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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बसंत पंचमी का त्योहार 16 फरवरी को है।

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | बसंत पंचमी का त्योहार 16 फरवरी को है। हिंदू मान्यता के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था। प्रचलित एक पौराणिक कथा के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन भगवान ब्रह्मा ने मां सरस्वती की रचना की थी। ब्रह्मा जी ने एक ऐसी देवी की संरचना की, जिनके चार हाथ थे। एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती को वीणा बजाने के लिए कहा, जिसके बाद संसार की सभी चीजों में स्वर आ गया। यही कारण है कि उन्होंने सरस्वती मां को वाणी की देवी नाम दिया। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान मां सरस्वती को कुछ खास चीजों का भोज लगाने से बुद्धि के वरदान की प्राप्ति होती है।

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त-

16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी, जो कि अगले दिन यानी 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी।

1. पीले रंग के पुष्प- बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पीले पुष्प अर्पित करना शुभ होता है। इससे वह प्रसन्न होती हैं और ज्ञान का वरदान देती हैं। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना भी उत्तम माना जाता है।

2. पूजा में शामिल करें ये चीजें- बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा में पेन, कॉपी, किताब आदि को शामिल करना चाहिए। कहते हैं कि इससे ज्ञान और बुद्धि के वरदान की प्राप्ति होती है।

3. पीले रंग की मिठाई का भोग- मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान से करने के बाद उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए। ऐसे में मां सरस्वती को बेसन का लड्डू या बूंदी अर्पित की जा सकती है। मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए खीर या मालपुए का भोग लगाया जा सकता है।

बसंत पंचमी पूजा विधि-

1. मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।

2. अब रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें।

3. अब पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को अर्पित करें।

4. मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें।


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