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धर्म-अध्यात्म
जानिए वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Ritisha Jaiswal
25 April 2022 9:33 AM GMT

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वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस व्रत को जो भी व्यक्ति श्रद्धाभाव के साथ रखता है
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस व्रत को जो भी व्यक्ति श्रद्धाभाव के साथ रखता है और विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करता है तो उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानिए वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
वरुथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ - 26 अप्रैल, मंगलवार सुबह 01 बजकर 36 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 27 अप्रैल, बुधवार रात 12 बजकर 46 मिनट पर
व्रत पारण का समय- 27 अप्रैल सुबह 6 बजकर 41 मिनट से लेकर 08 बजकर 22 मिनट तक
वरुथिनी एकादशी पर बन रहा है खास योग
वरुथिनी एकादशी के दिन काफी खास संयोग भी बन रहा है।
ब्रह्म योग- 26 अप्रैल शाम 7 बजकर 06 मिनट तक। इसके बाद ब्रह्म योग लग जाएगा।
शतभिषा नक्षत्र- शाम 4 बजकर 56 मिनट तक
त्रिपुष्कर योग- रात 12 बजकर 47 मिनट से लेकर 27 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 44 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद साफ सुथरे कपड़े धारण कर लें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद एक चौकी में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति रख लें। आप चाहे तो पूजा घर में ही जहां तस्वीर रखी हो वहीं पर रखी रहने दें। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, माला चढ़ाएं। फिर पीला चंदन लगाएं। इसके बाद भोग लगाकर घी का दीपक और धूप जलाएं। फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ के साथ एकादशी व्रत कथा का पाठ कर लें। अंत में विधिवत तरीके से आरती कर लें। आरती करने के बाद दिनभर फलाहार व्रत रहने के बाद द्वादशी के दिन व्रत का पारण कर दें
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