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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चित्रगुप्त पूजा 2022, 26 और 27 अक्टूबर, दोनों दिन मनाया जा रहा है. क्योंकि 26 अक्टूबर को 03:35 बजे से कार्तिक द्वितीया तिथि शुरू हो रही है जो 27 अक्टूबर को 2:12 बजे समाप्त होगी. इस दिन भगवान चित्रगुप्त की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन को कलम दवात पूजा भी कहते हैं. चित्रगुप्त देवताओं के लेखपाल हैं, और मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं, उनकी पूजा के दिन नई कलम दवात या लेखनी की पूजा उनके प्रतिरूप के तौर पर की जाती है.
चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त (Chitragupta Puja 2022 Shubh Muhurat)
कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 03:35 बजे से शुरू हो रही है. यह तिथि 27 अक्टूबर गुरुवार को दोपहर 02:12 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, चित्रगुप्त पूजा 27 अक्टूबर को मनाया जाना शास्त्र सम्मत है.
वहीं दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से लेकर 28 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा.
चित्रगुप्त पूजा विधि (Chitragupta Puja Vidhi)
एक चौकी पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित करें.
इसके बाद अक्षत, फूल, मिठाई, फल आदि चढ़ाएं.
एक नई कलम या कोई लेखनी जिसका आप उपयोग करते हो, उनको अर्पित करें तथा उसकी पूजा करें.
अब सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिख कर चित्रगुप्त जी से विद्या, बुद्धि तथा लेखन का अशीर्वाद लें.
चित्रगुप्त की पूजा करने से साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है.
चित्रगुप्त महाराज की पूजा विधि के अंतर्गत ऐसी मान्यता है कि चित्रगुप्त पूजा के दिन सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ऊं चित्रगुप्ताय नमः लिखकर पूजन स्थल के पास रखना चाहिए.
इसके अलावा ऊं नम: शिवाय और लक्ष्मी माता जी सदा सहाय भी लिख सकते हैं. फिर इस पर स्वास्तिक बनाकर बुद्धि, विद्या व लेखन का अशीर्वाद मांगें.
ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का उच्चारण करते रहें. पूजा के समय चित्रगुप्त प्रार्थना मंत्र भी जरूर पढ़ें. उसके बाद चित्रगुप्त जी की आरती करें.
चित्रगुप्त पूजा मंत्र (Chitragupta Puja Mantra)
चित्र गुप्त पूजा के दिन मंत्र- मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।। और ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का उच्चारण करें. पूजा के समय चित्रगुप्त प्रार्थना मंत्र भी जरूर पढ़ें. पूजा पूरी करने के बाद चित्रगुप्त जी की आरती करें.
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
देवताओं के लेखपाल हैं चित्रगुप्त महाराज
चित्रगुप्त देवताओं के लेखपाल हैं, और मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं, उनकी पूजा के दिन नई कलम दवात या लेखनी की पूजा उनके प्रतिरूप के तौर पर की जाती है.लेखनी की पूजा से वाणी और विद्या का वरदान मिलता है. कायस्थ या व्यापारी वर्ग के लिए चित्रगुप्त पूजा दिन से ही नववर्ष का आगाज माना जाता है. इस दिन व्यापारी नए बही खातों की पूजा करते है.नए बहीखातों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है.
चित्रगुप्त पूजा का महत्व (Importance of Chitragupta Puja)
व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए चित्रगुप्त की पूजा का बहुत महत्व होता है. इस दिन नए बहीखातों पर 'श्री' लिखकर कार्य का आरंभ किया जाता है. इसके पीछे मान्यता है कि कारोबारी अपने कारोबार से जुड़े आय-व्यय का ब्योरा भगवान चित्रगुप्त जी के सामने रखते हैं और उनसे व्यापार में आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद मांगते हैं. भगवान चित्रगुप्त की पूजा में लेखनी-दवात का बहुत महत्व है.
न्यूज़ क्रेडिट: prabhatkhabar
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