धर्म-अध्यात्म

जानिए शनि ग्रह का ज्योतिषीय महत्व और कौन सी हैं वो राशिययां जिन्हे शनि गोचर का होगा विशेष लाभ

Tara Tandi
6 April 2022 5:28 AM GMT
जानिए शनि ग्रह का ज्योतिषीय महत्व और कौन सी हैं वो राशिययां जिन्हे शनि गोचर का होगा विशेष लाभ
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 जानिए शनि ग्रह का ज्योतिषीय महत्व और कौन सी हैं वो राशिययां जिन्हे शनि गोचर का होगा विशेष लाभ 

वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जब भी कोई ग्रह गोचर करता है, तो उसका सीधा असर मानव जीवनपर पड़ता है। किसी के लिए यह परिवर्तन शुभ रहता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जब भी कोई ग्रह गोचर करता है, तो उसका सीधा असर मानव जीवनपर पड़ता है। किसी के लिए यह परिवर्तन शुभ रहता है तो किसी के लिए अशुभ। कलयुग के दंडाधिकारी शनि देव 29 अप्रैल 2022, शुक्रवार को अपनी स्वराशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं। शनि ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने के लिए लगभग 30 महीने का समय लेते हैं। शनि देव व्यक्ति को कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। मतलब इंसान जैसा कर्म करेगा उसको वैसा ही फल मिलेगा। शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही, कुछ राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाएगी। शनि के गोचर का प्रभाव वैसे तो सभी राशियों पर पड़ेगा, लेकिन कुछ राशियां ऐसीं हैं, जिनको विशेष लाभ हो सकता है। आइए जानते हैं क्या है शनि ग्रह का ज्योतिषीय महत्व और कौन सी हैं वो राशिययां जिन्हे शनि गोचर का विशेष लाभ प्राप्त होगा।

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का महत्व
वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। तुला राशि शनि की उच्च राशि मानी जाती है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। शनि का गोचर एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है। नौ ग्रहों में शनि की गति सबसे मंद है। शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है।
न्यायप्रिय ग्रह है शनि
शनि ग्रह को लेकर नकारात्मक धारणा बनी हुई है। ज्योतिष में शनि ग्रह को भले एक क्रूर ग्रह माना जाता है परंतु यह पीड़ित होने पर ही जातकों को नकारात्मक फल देता है। यदि किसी व्यक्ति का शनि उच्च हो तो वह उस व्यक्ति को रंक से राज बना सकता है। शनि तीनों लोकों का न्यायाधीश है। अतः यह व्यक्तियों को उनके कर्म के आधार पर फल प्रदान करता है। शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी भी है। शनि के गोचर काल की अवधि करीब 30 महीने की होती है। साथ ही शनि की महादशा 19 वर्ष की होती है। शनि का इन तीन राशियों को मिलेगा विशेष लाभ।
मेष राशि
मेष राशि के गोचर कुंडली में शनि देव 11वें भाव में गोचर करेंगें, जिसे लाभ और आय का भाव कहा जाता है। इसलिए इस समय आपकी आय में बढ़ोत्तरी हो सकती है। साथ ही आय के नए स्त्रोत बन सकते हैं। व्यापार में अच्छा धनलाभ होने की संभवाना है। मेष राशि के जातकों की कुंडली में शनि देव दशम स्थान के भी स्वामी हैं, इसलिए इस समय आपको नई नौकरी के अवसर भी मिल सकता है। पदोन्नति की भी संभवाना है।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के लिए शनि देव का गोचर लाभ देने वाला साबित होगा। शनि देव वृषभ राशि के दशम स्थाव में गोचर करेंगे, जिसे कर्म और नौकरी का स्थान कहा जाता है। आपको नई नौकरी के प्रस्ताव भी आ सकते हैं। यदि आप नौकरी कर रहे हैं तो आपको पदोन्नति की संभवाना है। वृषभ राशि के स्वामी शुक्र देव हैं और ज्योतिष के अनुसार शुक्र देव और शनि ग्रह में मित्रता का भाव है। इसलिए यह गोचर वृषभ राशि वालों के लिए शुभ फलदायी साबित हो सकता है।
धनु राशि
शनि देव का गोचर धनु राशि के जातकों के लिए अत्यंत शुभ रहने वाला है, क्योंकि आपके ऊपर शनि की साढे़साती चल रही थी। शनि ग्रह के गोचर करते ही धनु राशि के जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाएगी। शनि ग्रह आपको धनलाभ करा सकते हैं। शनि के गोचर के प्रभाव से धनु राशि के जातकों को प्रॉपर्टी डील मिल सकती है। शनि देव आपके पराक्रम भाव में गोचर करेंगे। इसलिए इस समय आपको पराक्रम में वृद्धि होगी। साथ ही आपके गुप्त शत्रुओं का नाश होगा।
शनि की वक्री अवस्था
12 जुलाई से शनि ग्रह वक्री अवस्था में फिर से मकर राशि में गोचर करेंगे और 17 जनवरी 2023 तक इस राशि में रहेंगे। इस अवधि में धनु राशि के जातकों पर पुनः शनि की दशा लग जाएगी।
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