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धर्म-अध्यात्म
जानिए नीलम धारण करने से इन 3 राशि वालों की चमक सकती है किस्मत
Tara Tandi
16 July 2022 11:06 AM GMT
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वैदिक ज्योतिष में रत्नों का विशेष महत्व बताया गया है और मानव जीवन में भी रत्न भाग्य में वृद्धि का काम करते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैदिक ज्योतिष में रत्नों का विशेष महत्व बताया गया है और मानव जीवन में भी रत्न भाग्य में वृद्धि का काम करते हैं। रत्नों को धारण करके ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है। रत्न शास्त्र में 9 रत्नों का वर्णन मिलता है। जिनका संंबध किसी न किसी ग्रह से जरूर होता है। यहां हम बात करे जा रहे हैं नीलम रत्न के बारे में, जिसका संबंध शनि देव से होता है। नीलम को अंग्रेजी में ब्लू सफायर कहते हैं। वहीं नीली इसका उपत्न होता है। आइए जानते हैं नीलम धारण करे के लाभ और पहनने की विधि…
इन राशि के लोग पहन सकते हैं नीलम:
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह चौथे, पांचवें, दसवें या फिर 11वें भाव में विराजमान हो तो ऐसे व्यक्ति को नीलम धारण चाहिए। इसके अलावा शनि षष्ठेश या अष्टमेश के साथ स्थित हो तो भी नीलम पहनना अत्यंत शुभ माना गया है। वहीं वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के जातक को नीलम धारण कर सकते हैं। शनि ग्रह अगर केंद्र के स्वामी हैं तो भी नीलम पहन सकते हैं। शनि अगर पंचम, नवम और दशम भाव में उच्च के विराजमान हो तो नीलम धारण करना चाहिए। रत्न शास्त्र अनुसार नीलम के दो उपरत्न लीलिया और जमुनिया होते हैं।
नीलम धारण करने के लाभ:नीलम धारण करते ही व्यक्ति को आर्थिक लाभ होने लगता है और नौकरी, बिजनेस में तरक्की होने के संकेत मिलने लगते हैं। नीलम रत्न काली विद्या, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, भूत प्रेत आदि से बचाता है। नीलम रत्न तुंरत ही अपना असर दिखाता है। साथ ही जिन लोगों में धैर्य की कमी होती है और वह हर काम को लेकर जल्दबाजी में रहते हैं तो ऐसे लोगों को नीलम धारण करने से धैर्य आता है। नीलम रत्न धारण करने से व्यक्ति कर्मठ और मेहनती बनता है। साथ ही वह हर काम को लगन से करता है।
इस विधि से करें धारण:
नीलम धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन शनिवार का माना जाता है। क्योंकि शनिवार का संबंध शनि देव से माना जाता है। नीलम कम से कस सवा 5 से सवा 7 रत्ती का होना चाहिए। साथ ही नीलम को पंचधातु में धारण करना सबसे शुभ माना जाता है। शनिवार को सबसे पहले दूध, गंगाजल और शहद के मिश्रण में 10 से 15 तक डाल दें। इसके बाद शनि के बीज मंत्र ऊं शम शनिचराय नम: मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके बाद नीलम को दाएं हाथ की बीच की उंगली में धारण कर लें। नीलम धारण करने के बाद शनि ग्रह से संबंधित दान जरूर निकालें।
Tara Tandi
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