धर्म-अध्यात्म

जानिए धार्मिक रूप से पूजा- पाठ में नारियल का फल महत्वपूर्ण माना जाता है

Bhumika Sahu
31 Aug 2021 1:54 AM GMT
जानिए धार्मिक रूप से पूजा- पाठ में नारियल का फल महत्वपूर्ण माना जाता है
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हिंदू धर्म में नारियल बहुत शुभ माना गया है. मान्यता है कि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. कुछ पुराणो में नारियल को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. आइए जानते हैं इसके बारे में कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोई भी यज्ञ, हवन और पूजा बिना नारियल के अधूरी मानी जाती है. ये पूजा पाठ की अभिन्न सामग्री है जिसका इस्तेमाल हमेशा से किया जाता रहा है. नारियल एक ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल हर कोई पूजा पाठ में होता है. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले नारियल फोड़ने की परंपरा है. ये एक शुभ फल माना जाता है. इसलिए मंदिरों में इसे चढ़ाने का रिवाज है. कोई भी पूजा या शुभ काम बिना नारियल चढ़ाएं फलदायी नहीं माना जाता है.

ज्योतिष शास्त्र में भी नारियल का फल हर पूजा उपासन में सम्पन्नता का प्रतीक माना गया है. इसे लक्ष्मी जी का स्वरूप मानते हैं इसलिए इसे श्रीफल भी कहते हैं. शास्त्रों में भी कहा गया है कि नारियल चढ़ाने से जातक के सभी दुख- दर्द दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं इसके पौराणिक महत्व के बारे में.
विष्णु अपने साथ लाएं नारियल का पेड़
मान्यता है कि भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतरित होते समय अपने साथ माता लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु साथ लाए थे. नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश वास करते हैं. कई पुराणों में नारियल को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. इसलिए माना जाता है कि जिस घर में नारियल होता है वहां देवी लक्ष्मी का वास होता है.
पूजा में क्यों फोड़ा जाता है नारियल
पूजा में नारियल तोड़ने का अर्थ है कि व्यक्ति ने अपने इष्ट देव को खुद को समर्पित कर दिया इसलिए पूजा में भगवान के सामने नारियल फोड़ा जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि विश्वामित्र इंद्र से नाराज हो गए और दूसरा स्वर्ग बनाने की रचना करना लगे. लेकिन वो दूसरे स्वर्ग की रचना से स्तुंष्ट नहीं थे. इसके बाद उन्होंने दूसरी सृष्टि के निर्माण में मानव के रूप में नारियल का प्रयोग किया था. इसलिए उस पर दो आंखें और एक मुख की रचना होती है. पहले के समय में बलि देने का प्रथा बहुत अधिक थी. उस समय में मनुष्य और जानवरों की बलि देना सामान बात थी. तभी इस परंपरा को तोड़ने के लिए नारियल चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई.


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